कोलकाताः हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। किसी भी प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानी सूर्योदय के बाद शाम के समय को प्रदोष काल कहते हैं।
बता दें कि सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता ह। जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष और मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष, बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष, गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। वैसे ही कल शुक्रवार का दिन है और शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष को शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि शुक्र प्रदोष का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसे में आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
अक्टूबर माह का पहला प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
शुक्र प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – 07 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 26 मिनट सेत्रयोदशी तिथि समाप्त – 08 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट तकप्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त – 07 अक्टूबर को शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजकर 28 मिनट तक है।
शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और शिव जी की उपासना करें।इस दिन दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। उसके बाद शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके बाद भोजन करें।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है साथ ही रोग, ग्रह दोष, कष्ट, आदि से मुक्ति मिलती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण होता है।
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