नई दिल्ली : हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदन्त संकष्टी चतुर्थी मनाते हैं। इस साल एकदन्त संकष्टी चतुर्थी 29 मई, दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन भक्त सुख, शांति और समृद्धि के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से बिगड़े काम बन जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है।
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ और शुक्ल दो शुभ योग बन रहे हैं। शुभ योगों के बनने के कारण संकष्टी चतुर्थी का महत्व बढ़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ और शुक्ल योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।
चतुर्थी तिथि कब से कब तक-
चतुर्थी तिथि 30 मई की सुबह 04 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। इसके बाद पंचमी तिथि लग जाएगी।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि-
1. सबसे पहले स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. इस दिन लाल वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।
3. पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
4. साफ आसन या चौकी पर भगवान श्रीगणेश को विराजित करें।
5. अब भगवान श्रीगणेश की धूप-दीप से पूजा-अर्चना करें।
6. पूजा के दौरान ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्रों का जाप करना चाहिए।
7. पूजा के बाद श्रीगणेश को लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।
8. शाम को व्रत कथा पढ़कर और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
9. व्रत पूरा करने के बाद दान करें।
भगवान गणेश को लगाएं मोदक का भोग-
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश को मोदक अतिप्रिय हैं। एकदन्त संकष्टी चतुर्थी केदिन भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें दूर्वा अर्पित करने प्रभु जल्दी प्रसन्न होते हैं।
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी कब है? जानिए महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
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