
सभी डाक्टर हायपरटेंशन, ब्लड प्रेशर एवं हृदयरोगी आदि को कम नमक खाने की सलाह देते हैं। ऐसे रोगियों को ऐसा करना भी चाहिए। इस मामले में दवा के साथ कम नमक वाला खाना लेने से उनके नियंत्रण में सरलता होती है पर अकारण एवं शौकिया तौर पर कम नमक खाने से कुछ नुकसान हो सकता है। जिन्हें हायपरटेंशन एवं बी पी नहीं है, यदि वे अपने से कम नमक अर्थात् फीका खाना खाते हैं तो उन्हें लो सोडियम डाइट के कारण कार्डियोवैस्कुलर डिजीज पैदा हो सकती है। उससे हृदय की रक्तवाहिनियों को ज्यादा नुक्सान पहुंच सकता है, अतएव अकारण फीका खाना न खाएं।
शौच में जल्दबाजी न करें
शौच करना एक अनिवार्य शारीरिक क्रिया है। इस आवेग को नहीं रोकना चाहिए और न इसमें जल्दबाजी करनी चाहिए। शौच को रोकना मुसीबतों को न्यौता देना है और शौचालय से शीघ्र बाहर आ जाना भी ठीक नहीं है। सही ढंग से भोजन करने एवं नींद पूरी होने पर सवेरे जागने के कुछ देर भीतर ही स्वयमेव या उठते ही एक गिलास पानी पीने से शौच में सरलता होती है। शौचालय से हड़बड़ी में जल्द बाहर न निकल आएं। कुछ देर रुकें जिससे संपूर्ण शौच बाहर आ जाए। शरीर की संपूर्ण सफाई की अवधारणा वाले प्रात: उठते ही अपनी समस्त नित्य क्रियाएं पूरी कर लेते हैं किंतु जिनकी जीवनचर्या अन्य प्रकार से है, वे अपनी सुविधा के अनुसार शरीर की संपूर्ण सफाई कर सकते हैं पर यह सफाई नित्य व जरूरी है।
यह नाक का सवाल है
नाक हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग है। यह भीतर जाने वाली हवा को साफ करके भेजती है। यह हमें सुगंध व दुर्गंध का अनुभव कराती है। जिस तरह सबकी नाक के आकार प्रकार में विविधता है उसी तरह नाकों की गंध परखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है। कोई तेज नाक वाला होता है तो कोई गंध गुण निर्धारण नहीं कर पाता है। कुछ लोग नाक को ही देखकर प्रादेशिकता व मूल की पहचान कर लेते हैं। नाक तो, नाक कटना, नाक का सवाल जैसे मुहावरों में भी है पर पते की बात यह है कि बड़ी नाक बीमारियों से बचाती है। यह संक्रमण व वायरस को भीतर जाने से रोकती है। छींक लाकर, नाक बहा कर उसे बाहर कर देती है।