
कोलकाताः पितृ पक्ष के 16 श्राद्ध पितरों के प्रति श्रद्धा दिखाने का समय होता है। श्राद्ध पक्ष 25 सितंबर 2022 को महालाया अमावस्या पर खत्म हो जाएंगे। सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इसके एक दिन पूर्व यानी चतुर्दशी तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में चतुर्दशी श्राद्ध कब है और किसका श्राद्ध करने की मनाही है।
कब है चतुर्दशी श्राद्ध 2022 ?
पितृ पक्ष में चतुर्दशी श्राद्ध को चौदस श्राद्ध, घायल चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल चतुर्दशी श्राद्ध 24 सितंबर 2022 को किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि के दिन अकला मृत्यु को प्राप्त होने वाले जैसे दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या करने वाले लोगों का श्राद्ध करने का महत्व है।
अश्विन माह चतुर्दशी तिथि शुरू – 24 सितंबर 2022, सुबह 02:30
अश्विन माह चतुर्दशी तिथि समाप्त – 25 सितंबर 2022, सुबह 03:12
चतुर्दशी पर किन लोगों का श्राद्ध नहीं करते ?
चतुर्दशी तिथि पर समान्या मृत्यु यानी कि स्वभाविक मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों का श्राद्ध नहीं किया जाता है। महाभारत की एक कथन और कूर्मपुराण के अनुसार इस दिन स्वभाविक रूप से मरने वालों का श्राद्ध करने से संतान को भविष्य में कई आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या पर किया जाता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि जो लोग आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को तिथि जिन लोगों की स्वाभाविक मृत्यु न हुई हो सिर्फ उन्हीं का श्राद्ध करना चाहिए।
चतुर्दशी श्राद्ध विधि
चुतर्दशी तिथि के दिन कुतुप मुहूर्त यानी कि दोपहर के समय अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाले पूर्वजों का हाथ में कुश, काला तिल और जल लेकर तर्पण करें। पंचबलि भोग निकलें और ब्राह्मण को भोजन करना के बाद यथाशक्ति दान करें।