
मधुमेह की स्थिति में चावल खाएं या नहीं अथवा कौन सा चावल कैसे पकाकर खाएं, इसको लेकर दुविधापूर्ण स्थिति रहती है। कई लोग चावल खाना पूरा छोड़ देते हैं जबकि चावल हमारे खानपान में ऊर्जा एवं शरीर को गर्मी देने वाला महत्त्वपूर्ण अनाज है। यह सच है कि शीघ्र पचने के कारण चावल शरीर में जल्द शुगर स्तर बढ़ा देता है पर ऐसा पालिश किए गए चमकदार चावल को कुकर में बनाने या पुलाव के रूप में खाने से होता है जबकि ढेकी से कूटे या उसना चावल से यह नहीं होता। उसना अथवा हाथ कूटे चावल को उबाल कर पसा कर बनाने पर उसमें कार्बोज, कार्बोहाइड्रेट अर्थात ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है। इस प्रकार बने उसना या हाथ कूटे चावल को कोई भी रोगी सीमित मात्रा में खा सकता है। उसना चावल अनेक प्रांतों में बहुतायत से बिकता व खाया जाता है। यह भारत का प्रमुख अनाज है।
मिरगी की प्रारंभिक पहचान से अच्छा इलाज संभव
मिरगी की यदि प्रारंभिक अवस्था में ही चिकित्सकीय पहचान हो जाए तो इलाज अच्छे तरीके से किया जा सकता है। मिरगी के शुरुआती झटकों की अवस्था में उसका ई. ई. जी., व एम. आर. आई. कराकर रिपोर्ट की जांच पड़ताल कर रोगी के मिरगी पीड़ित होने की पुष्टि होने पर यदि उसका उपचार आरंभ कर दिया जाए तो उस पर काबू पाया जा सकता है। अपने देश में मिरगी को लेकर भ्रांत धारणाएं अधिक हैं। उसी के चलते वह आग या पानी की भेंट चढ़ जाता है। मिरगी का आधुनिक उपचार संभव है अतएव ऐसे रोगी एवं परिजन नुस्खों, नीम हकीमों एवं नौसिखिये के फेर में न पड़ें। उपयुक्त जांच व उपचार से इस पर काबू पाया जाना संभव है। इस मामले में देरी नुकसानदेह हो सकती है। मिरगी का उपचार व नियंत्रण अब पूर्ण संभव है।