कोरोना के साथ अब शहर में डेंगू का कहर सताने लगा है। अब आपके घर में भी दस्तक देने में देरी नहीं, आइये, हम सावधान हो जायें और समझें –
डेंगू एक विषाणु जनित रोग है। इस रोग में तेज बुखार जड़ों में दर्द तथा माथा में दर्द होता है। कभी-कभी रोगी के शरीर में आन्तरिक रक्तस्राव भी होता है। यह चार प्रकार के विषाणुओं के कारण होता है तथा इस रोग का वाहक एडिस मच्छर की दो प्रजातियां हैं। साधारणतः गर्मी के मौसम में यह रोग महामारी का रूप ले लेता है जब मच्छरों की जनसंख्या अपने चरम सीमा पर होती है। यह संक्रमण सीधे व्यक्तियों से व्यक्तियों में प्रसरित नहीं होता है तथा यह भी आवश्यक नहीं कि मच्छरों द्वारा काटे गये सभी व्यक्तियों को यह रोग हो। डेंगू एशिया, अफ्रीका, दक्षिण तथा मध्य अमेरिका के कई उष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में होता है। डेंगू के चारों विषाणुओं में से किसी भी एक से संक्रमित व्यक्ति में बाकी तीनों विषाणुओं के प्रति प्रतिरोध क्षमता विकसित हो जाती है। पूरे जीवन में यह रोग दुबारा किसी को भी नहीं होता है।
डेंगू का मच्छर केवल दिन में काटता है
डेंगू बुखार फ्लैवि वायरस के कारण फैलता है और यह वायरस हमारे शरीर में पहुंचाने का काम करते हैं एडीज इजिप्टी मच्छर। ये मच्छर इंसानों के आसपास रहते हैं और दिन में काटते हैं। ये मच्छर पीला बुखार और चिकनगुनिया जैसे वायरस भी फैलाता है। यह मच्छर आकार में छोटा होता है और इसके शरीर पर सफेद धब्बे से होते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं मादा मच्छर ही काटती है और वो भी इसलिए कि उसे अंडे तैयार करने के लिए ख़ून की ज़रूरत होती है। एडीज इजिप्टी मादा मच्छर चालाक होती है। वह घुनघुन करके अपने शिकार को सचेत करती है और आमतौर पर पीछे या पैरों में काटती है और बड़ी तेज़ी से उड़ जाती है। और क्योंकि वायरस उसकी लाला ग्रन्थि में होता है इसलिए काटते समय शिकार के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
मच्छर पैदा होने का मुख्य कारण है जलजमाव व गंदगी। शहर में जितना अधिक जलजमाव होगा या गंदगी फैलेगी मच्छरों का प्रजनन उतना ही होगा। जलजमाव वाले जगहों पर मादा मच्छर के अण्डा देने से सबसे पहले लार्वा तैयार होता है उसके बाद पीयूपा का निर्माण होता है, फिर लार्वा उससे मच्छर पैदा होता है। इस प्रक्रिया में 20 से 25 दिन लग जाता है। मच्छरों के प्रजनन के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान काफी अनुकूल माना जाता है। मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए जरूरी है कि आस-पास के क्षेत्रों को साफ रखा जाये। नाला-नालियों की सप्ताह में एक बार जरूर साफ किया जाये। घर या बारह पानी नहीं लगने दिया जाये। घरों के कुलर की समय-समय पर सफाई जरूरी है। मच्छर जैसे ही किसी व्यक्ति के शरीर में काटता है तो वह व्यक्ति के रक्त में मीरोजोइट्स नामक तरल पदार्थ छोड़ता है, जिससे रक्त का आर.बी.सी. टूटने लगता है। इससे लोगों को जाड़ा देकर बुखार आने लगता है। मच्छर काटने पर व्यक्ति का लीवर भी प्रभावित होता है। मच्छर की प्रजाति के आधार पर ही बीमारी पैदा होती है। फीमेल एनोफ्लिक्स मच्छर को काटने से मलेरिया होता है। वहीं फीमेल क्यूलेक्स के काटने से फलेरिया की बीमारी होती है। एडीज मच्छर के काटने से डेंगु एवं चिकुनगुनिया होने का भय रहता है। मच्छरों से बचाव के लिए शहर में डी.डी.टी. का छिड़काव किया जाना चाहिये। रोगियों का रक्त का परीक्षण करते रहना चाहिये।
डेंगू बुखार से बचाव करें
डेंगू बुखार एक प्रकार के डेन वायरस की वजह से होता है। यह वायरस एडीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज मच्छर दिन के समय काटते। डेंगू में सामान्यतः बुखार 102 से 104 डिग्री फेरेनहाइट जो लगातार 2 से 7 दिन की अवधि तक रहता है। बुखार के साथ तेज सिरदर्द, आँखों के आसपास दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर पर चकत्ते बनना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं। किसी व्यक्ति में डेंगू का संक्रमण जब बार-बार होता है तब डेंगू गंभीर रूप में परिवर्तित हो सकता है। गंभीरता के लक्षणों में प्रमुख रूप से हाथ अथवा शरीर पर खून के चकत्ते बनना, मसूड़ों से खून आना, खून की जांच में प्रतिदिन प्लेटलेट में कमी होते जाना आदि है। डेंगू बुखार फैलाने वाले एडीज नामक मच्छर घरों के पीछे, घरों की छत पर रखे पानी से भरे कंटेनर में पैदा होते हैं। ये पानी भरे कंटेनर हो सकते हैं :- सीमेंट की टंकी, ड्रम, नाद, मटके, टायर, शीशी में लगाया हुआ मनीप्लांट, फ्रीज के नीचे रखी ट्रे, मटके के नीचे की ट्रे आदि है। इसके अतिरिक्त भी घर की छत एवं घरों के पिछवाड़े अनुपयोगी टूटी-फूटी सामग्री, जिनमें किसी कारण से अथवा वर्षा का पानी भर जाता है, जिसमें एडीज मच्छर पैदा होते हैं। यदि कंटेनर में पानी को देखें तो उसमें कीड़े (लार्वा) दिखाई देते हैं, ये कीड़े (लार्वा) ही सात दिवस में मच्छर बन जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि डेंगू बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए मच्छरों की उत्पत्ति रोकना आवश्यक है। अतः कंटेनर में से सप्ताह में एक बार पानी की निकासी करें, कंटेनर खाली कर सुखाकर फिर पानी भरें। पानी की यदि कमी है तो पानी को छानकर उपयोग किया जा सकता है। घर की छतों पर व घरों के पिछवाड़े ऐसी अनुपयोगी सामग्री न रखें जिसमें वर्षा का पानी जमा होता हो।
बचाव
गंभीर डेंगू एवं साधारण डेंगू दोनों तरह के डेंगू के बचाव के लिये होम्योपैथिक दवाएं इस प्रकार हैं-
होम्योपैथिक में डेंगू से बचाव के लिये होम्योपैथिक में कारगर दवा है। डाॅ. देवश्लोक शर्मा के अनुसार पाँच दिन तक रोज सुबह खाली पेट यूपेटोरियम परफोलिटेम 200 (EUPATORIUM PERFOLIATUM 200C) की गोलियां डेंगू से बचा सकती हैं। बड़े लोग 5-6 गोली और बच्चे 2-3 गोलियां ले सकते हैं और डेंगू एक माह से भी ज्यादा फैला रहे तो एक माह के बाद आप फिर दुबारा सबको घर में दे सकते हैं। गर्भवती महिला और बच्चे को यह औषधि आवश्य खिलायें ।