तिरुवनंतपुरम : भारत की पहली दृष्टि बाधित महिला आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल ने तिरुवनंतपुरम में सहायक कलेक्टर के रुप में पदभार संभाला है। महाराष्ट्र के उल्हासनगर की निवासी प्रांजल ने साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा में 124वां स्थान हासिल कर देश की पहली नेत्रहीन आईएएस अधिकारी बन गयी हैं। दिव्यांग होने के बावजूद पाटिल उम्मीद नहीं हारीं और अपने हौसले को बुलंद रखते हुए आगे बढ़ती रहीं। प्रांजल ने ट्रेनिंग के बाद केरल के एरनाकुलम से उप जिलाअधिकारी का पद संभाल कर अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को दिया और उन सभी लोगों के लिए मिसाल की परिभाषा बन गयी है जो परिस्थितियों के कारण हार मान लेते हैं।
पहली ही प्रयास में 773वी रैंक प्राप्त की
प्रांजल ने पहली बार में ही यूपीएससी की परीक्षा में 773 वीं रैंक हासिल की थी। उस वक्त उन्हें भारतीय रेलवे लेखा सेवा क्षेत्र में काम मिला था पर पूरी तरह से नेत्रहीन होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं दी गयी थी। पर उन्होनें हार न मानते हुए दोबारा परीक्षा दी और बेहतर स्थान प्राप्त की। मालूम हो कि प्रांजल ने मुबंई के दादर स्थित श्रीमति कमला मेहता स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की जो खास बच्चों के लिए था। पाटिल ने 10वीं तक पढ़ने के बाद चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स की पढ़ाई की जिसमें उसे 85 प्रतिशत अंक प्राप्त मिले। इन सब के बाद पाटिल ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में दाखिला लिया और बीए किया। जेएनयू से एमए करने के बाद एक खास सॉफ्टवेयर जॉब ऐक्सेस विद स्पीच की सहायता ली जिसे खासतौर पर दृष्टि बाधित लोगों के लिए बनाया जाता है।