नई दिल्ली : गुजरे एक बरस में कोविड की महामारी में इतने उतार चढ़ाव आए हैं कि निश्चित रूप से यह कह पाना मुश्किल है कि इसका प्रकोप अभी कितने दिन और रहेगा। इस महामारी की दूसरी लहर और ऑक्सिजन की कमी से टूटती सांसों ने फेफड़ों की सेहत दुरूस्त रखने की जरूरत नये सिरे से बताई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो स्मोकिंग करके अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों में कोविड की गंभीरता और इससे मौत का जोखिम 50 परसेंट ज्यादा होता है।
स्मोकिंग छोड़ देने में ही भलाई
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डा. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस 28 मई को कहा कि धूम्रपान करने वालों में कोरोना की गंभीरता और इससे मौत होने का जोखिम 50 प्रतिशत तक ज्यादा होता है, इसलिए कोरोनावायरस के जोखिम को कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ देने में ही भलाई है। धूम्रपान की वजह से कैंसर, दिल की बीमारी और सांस की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।
हेल्दी फेफड़ों का महत्व समझें
इस संबंध में नारायणा अस्पताल गुरुग्राम में कंसल्टेंट एंड सर्जन, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, डाक्टर शिल्पी शर्मा बताती हैं, ‘‘आज के दौर में जो लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें कोविड महामारी को इस लत को छोड़ने के एक और कारण के रूप में देखना चाहिए। उन्हें कोविड की गंभीरता से जूझ रहे और फेफड़ों की क्षमता खो रहे मरीजों के बारे में जानकारी लेकर स्वस्थ फेफड़ों के महत्त्व को समझना चाहिए, और अपने फेफड़ों को इस धीमे ज़हर से बचाने का प्रण लेना चाहिए।’’
…तो बढ़ जाता है गंभीर निमोनिया का रिस्क
एक्शन कैंसर अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट, हेड एंड नेक, ब्रेस्ट एंड थोरैसिक ऑन्को सर्जरी यूनिट, डॉक्टर राजेश जैन, के अनुसार “कोविड या फेफड़ों से सम्बंधित किसी भी संक्रमण के सन्दर्भ में सबसे पहले यह समझें कि फेफड़े जितने स्वस्थ होंगे संक्रमित व्यक्ति की ठीक होने की क्षमता भी उतनी होगी। ऐसे में जाहिर है कि स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति के फेफड़े तुलनामक रूप से कमज़ोर होंगे तो कोविड संक्रमण के बाद होने वाले गंभीर निमोनिया का अधिक जोखिम होगा।
स्मोकिंग करने वालों के लिए कोरोना हो सकता है अधिक खतरनाक
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