चेतला अग्रणी क्लब थीम के रूप में केला गाछ के खास महत्व को बतायेगा

परिवेश रक्षा का देगा संदेश
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हर बार की तरह इस बार भी चेतला अग्रणी क्लब एक अलग थीम के साथ पूरी तैयारी में है। जैसा कि थीम के साथ एक संदेश देने की जो परंपरा है उसे इस बार भी क्लब ने कायम रखा है। दक्षिण कोलकाता के बड़े पूजा पंडालों में से एक चेतला अग्रणी क्लब की पूजा की थीम में इस बार पूरे केले के गाछ व सूखे पत्ते का बखूबी इस्तेमाल हुआ है। पंडाल को भव्य रूप देने से लेकर प्रतिमा तक सभी में केले के गाछ के हर हिस्से का इस्तेमाल कर आकर्षक रूप तैयार किया जा रहा है। तने के रेशे निकालकर अलग अलग रूप से सजाया गया है। यहां की लाइटिंग भी आकर्षण का केंद्र बिंदु होगी।
थीम : सोलो कलाय पूर्ण
उद्देश्य – केला गाछ के महत्व को बताना तथा पर्यावरण रक्षा का संदेश देना
कलाकार : सुब्रत बनर्जी
आकर्षण का केंद्र : पूरे पंडाल को केले के गाछों तथा तना के रेशे से सजाया गया है। सूखे पत्ते का भी इस्तेमाल किया गया है। फाइबर का इस्तेमाल हुआ है। लाइटिंग भी इस बार बेहद अगल है।
क्या कहना है क्लब के सदस्य का
क्लब के सदस्य बापी चक्रवर्ती ने थीम को लेकर विस्तार से बताया कि बंगाल में 12 महीनों में कोई न कोई त्योहार हाेता है, हर त्योहार या पुण्य कामों, सभी जगहों पर केले के गाछ या पत्ते का अपना ही महत्व है। यह गाछ ऐसा है कि तालाब, नदी किनारे, बागान हर जगह ही अपने बढ़ता जा रहा है, कोई उस पर विशेष रूप से ध्यान नहीं देता है, ऐसे में थीम के जरिये केला गाछ के महत्व को दिखाया गया है। यहां तक कि प्रतिमा तैयार करने में अन्य वस्तुओं के साथ केला के मोचा का इस्तेमाल हुआ है। पूरी थीम में भारी संख्या में केले के गाछ के सूखे पत्तों का इस्तेमाल हुआ है। मैटेरियल को तैयार करने में 1 साल से भी अधिक समय लगा है। पंडाल निर्माण का काम इस साल जुलाई से शुरू हुआ। हमें उम्मीद है कि लोगों को हमारी थीम पसंद आयेगी।

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