
चाईबासा: नक्सलवाद और सरकारी उपेक्षाओं के कारण पिछड़ेपन का दंश झेल रहे सारंडा के ग्रामीण खुद अपने हालात को सुधारने में जुट गए हैं। कुछ साल पहले तक सारंडा के युवाओं के हाथ में अत्याधुनिक हथियार और बारूद का गोला हुआ करता था, लेकिन अब इन हाथों ने हॉकी स्टिक थामकर भटकाव के रास्ते से मुंह मोड़ने का प्रण लिया है।
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा में लगभग दो दशक तक नक्सलवाद के तांडव से आम जनजीवन बेपटरी होने के साथ-साथ युवाओं में खेलकूद प्रतिभा भी विलुप्त हो चुकी थी। पिछले 20 सालों से सारंडा में एक भी खिलाड़ी खेल के क्षेत्र में नहीं आया। ग्रामसभा ने जयपाल सिंह मुंडा की जयंती पर हॉकी प्रतियोगिता शुरू करा कर और खेल के क्षेत्र से युवाओं को जोड़कर ना सिर्फ उन्हें भटकाव से रोका, बल्कि समाज के प्रति भी उन्हें उत्तरदायी बनाने की अनूठी शुरुआत की है।