– सर्दियों में जठराग्नि प्रबल रहती है, इसलिए इन दिनों में पौष्टिक तथा बलवर्द्धक आहार लेना चाहिए। सर्दियों में खट्टा, खारा, मीठा प्रधान आहार लेना चाहिए।
– गर्म प्रकृति के आहार सर्दियों में लेना बेहतर होता है। ठंडी प्रकृति के आहार नुकसान पहुंचाते हैं। कड़वे, कसैले, तीखे खाद्य पदार्थ ना लें।
– दूध, ताजा दही, मक्खन,गुड़, खजूर, तिल, नारियल, सूखे मेवे जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ इस ऋतु में लाभप्रद होते हैं।
– सर्दियों में उपवास कम करने चाहिए।
– प्रतिदिन मालिश, व्यायाम व 8 बजे के बाद सैर करने से शरीर तंदुरुस्त रहता है।
– इस ऋतु में स्नान गुनगुने पानी से करना बेहतर होता है।
– शरीर को उचित गर्म वस्त्रों से गर्म रखें, रात्रि में अपना शयनकक्ष भी गर्मं रखेें।
– पैरों में उचित गर्म मोजे पहन कर रखें। प्रात:काल की धूप शरीर को लाभ पहुंचाती है।
– स्कूटर, ऑटो, साइकल पर अधिक दूरी तक न जाएं। बंद वाहन का आवागमन के लिए प्रयोग करें जैसे कार, बस रेल आदि।
– ठंडी हवा के संपर्क से स्वयं को बचा कर रखें।
– अगर फर्श पर बैठना पड़े तो चटाई, कालीन, कंबल बिछा कर बैठें।
– सर्दी जुकाम खांसी होने पर रात्रि में चुटकी भर हल्दी वाला दूध पीएं। इसके अतिरिक्त ताजे भुने एक मुट्ठी चने, हल्दी और नमक मिलाकर खाएं। इसके बाद पानी ना पीएं। खट्टी चीजों सेे परहेज करें।
– खाने के बाद हल्दी नमक वाली भुनी अजवायन को मुखवास के रूप में खाएं, थोड़ी मात्रा में लें। अजवायन की पोटली से छाती की सिंकाई करने से भी खांसी में लाभ मिलता है। रुकी बलगम पिघल कर बाहर निकलती है।
– त्वचा खुश्क होने पर माश्चराइजर का प्रयोग चेहरे, हाथों, पैरों पर करें। होंठों पर रात्रि में मलाई से हल्के मालिश करें।
– पैरों को सप्ताह में एक बार गर्म पानी में थोड़ी देर के लिए रखें, स्क्रब से साफ कर, सुखा कर उस पर वैसलीन की मालिश करें, ताकि एडिय़ां और पैर फटने ना पाएं। बाद में जुराबें अवश्य पहनें। सोते समय जुराब उतार दें।
शीत ऋतु में सावधानी है जरूरी
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