
कोलकाताः कोविड की दूसरी लहर की रफ्तार थोड़ी थमी ही थी कि अब इसके नए वेरिएंट्स ने दस्तक देनी शूरू कर दी है। हैरान कर देने वाली बात ये भी है कि अब कोई भी कोविड के एक नहीं बल्कि दो-दो वेरिएंट की चपेट में एक साथ आ सकता है। हाल ही में बेल्जियम की 90 वर्ष की महिला की मौत हुई है जो कोविड के अल्फा और बीटा दोनों वेरिएंट की चपेट में थी। ब्राजील के वैज्ञानिकों ने दो विशेष मामलों के अध्ययनों की भी रिपोर्ट की है, जिसमें दो लोग एक ही समय में जीनोमिक रूप से वायरस के दो वेरिएंट का शिकार हुए हैं। फिलहाल इस मामले में और भी सबूत इकट्ठे करने की जरूरत है। यहां हम आपको कोविड के एक साथ एक ही समय पर दोनों वेरिएंट के संक्रमण को लेकर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं।
बढ़ने लगा एक साथ कोविड के 2 वेरिएंट्स का खतरा
एक साथ कोविड के दोनों स्ट्रेन का संक्रमण और विकास अलग-अलग घटनाएं हैं, लेकिन सवाल में काफी समानताएं हैं। पहला मामला, जिसमें बेल्जियम की वृद्ध महिला दो वायरस वेरिएंट- अल्फा और बीटा वेरिएंट से संक्रमित थी। पीड़िता को चोट के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसका रोाजाना आरटीपीसीआर टेस्ट होता था जिसमें कोविड इंफेक्शन का पता चला। महिला ने 5 दिनों के भीतर ही तेजी से श्वसन संबंधी लक्षण विकसित किए और इसके परिणामस्वरूप उसकी मौत हो गई। जांच में पता चला कि महिला का टीकाकरण नहीं हुआ था।
कितनी है को-इंफेक्शन की संभावना?
वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट किए गए COVID को-इंफेक्शन के कुछ ‘दुर्लभ’ मामले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि को-इंफेक्शन के खतरे की संभावना से नकारा नहीं जा सकता है। साथ ही इस विषय पर शोध करने की भी आवश्यकता है। जानकारों की मानें तो इन्फ्लूएंजा और हेपेटाइटिस सी जैसे आरएनए वायरस आमतौर पर म्यूटिड होते हैं और इनसे को-इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। कोरोना वायरस के मामलों में भी ऐसा हो सकता है। अधिक संक्रमण वाले क्षेत्रों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
कोरोनावायरस म्यूटेशन को लेकर चिंतित होना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है, रि-कॉम्बीनेशन नामक एक प्रक्रिया द्वारा अपने आनुवंशिक अनुक्रम यानी जेनेटिक सीक्वेंस में भी बड़े बदलाव कर सकते हैं। जब दो वायरस शरीर में मौजूद एक ही कोशिका को संक्रमित करते हैं, तो वे अपने जीनोम के बड़े हिस्से को एक दूसरे के साथ स्वैप कर सकते हैं और पूरी तरह से नए सीक्वेंस को बना सकते हैं।को-इंफेक्शन के मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इसमें पहले के वायरस से कहीं से अधिक तेजी से म्यूटेशन होता है। लिहाजा इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए और हमें सभी प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
किन्हें है को-इंफेक्शन का अधिक खतरा?
फिलहाल वैज्ञानिक को-इंफेक्शन पर शोध कर रहे हैं, लेकिन अभी भी यही कहा जा रहा है कि टीकाकरण से संक्रमण का जोखिम कम हो सकता है। विशेषज्ञ का कहना है जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है, उन्हें इस तरह के मामलों से फिलहाल सुरक्षित माना जा सकता है। चूंकि बेल्जियम की महिला का भी टीकाकरण नहीं हुआ था जो एक साथ दो कोविड वेरिएंट्स की चपेट में आई थी। हालांकि, जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही कमजोर है या जो पहले ही तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें को-इंफेक्शन का ज्यादा खतरा है।