गुवाहाटी : असम में रहने वाले बंगाली हिंदू दूल्हन या दूल्हे, जो स्थानीय (असम) लोगों से अपना साथी चुनते हैं, उन्हें 40,000 प्रति रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह सहायता उन्हें राज्य भाषाई अल्पसंख्यक विकास बोर्ड द्वारा प्रस्तावित एक योजना के तहत प्रदान की जाएगी, जिसके माध्यम से दोनों समुदायों के बीच संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष आलोक कुमार घोष ने कहा कि अलग समुदाय में शादी करने वाले जोड़े को अक्सर संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है। इसके अलावा, उन्हें सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ता है। हमारा प्रयास है कि इस तरह के युगल की दुकान, ब्यूटी सैलून खोलने के साथ खेती में भी मदद की जाए। इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के समक्ष 2 दिन पहले पेश किया गया था। इसके लिए एक वेबसाइट भी डिजाइन कर दी गई है, जहां पर बंगाली-असमी हिंदू दंपती अपनी जानकारी ऑनलाइन पंजीकृत करा सकते हैं।
स्टूडेंट्स यूनियन ने धार्मिक ध्रुवीकरण का लगाया आरोप
बोर्ड के अध्यक्ष घोष ने यह दावा किया कि इस पहल से समृद्धि आएगी। वहीं ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने इसे विभाजनकारी बताते हुए बोर्ड पर धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने का आरोप लगाया है। स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रिजौल करीम का कहना है कि सरकार हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने के लिए कदम उठा रही है। बोर्ड का यह प्रस्ताव भी इसी का एक और उदाहरण है।
दोनों के बीच अविश्वास को दूर करने का पहल करेगा बोर्ड
धार्मिक आधार पर मदद करने के बजाय, बोर्ड को बंगाली लोगों (जो आर्थिक रूप से अस्थिर हैं) को किसी भी धर्म या समुदाय में शादी करने में मदद करनी चाहिए। ऑल असम बंगाली यूथ स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष सम्राट भुवाल ने कहा कि उनका संगठन बंगालियों और असमियों के बीच अविश्वास को दूर करने की पहल करेगा।