कसैले स्वाद वाला आंवला बेहद गुणकारी फल है। वैसे यह न तो पूर्णतया फल ही है और न ही सब्जी। पर स्वास्थ्य की दृष्टि से यह अति लाभकारी है। इसीलिए इसे घर का वैद्य भी कहा जाता है। यह अपनी क्षमता के कारण आदिकाल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा अपनाया जाता रहा है। यह अचार, चटनी, मुरब्बा, शर्बत आदि के रूप में बड़ा ही लोकप्रिय है। इसके अतिरिक्त सूखे आंवले का चूर्ण विभिन्न रोगों के उपचार में औषधि का कार्य करता है। औषधि के रूप में आंवले को निम्न तरीके से अपना सकते हैं।
– रोजाना प्रात:काल एक आंवले का सेवन बहुत ही फायदेमंद है। इसका मुरब्बा बच्चों की वृद्धि में अपेक्षित लाभ पहुंचाता है।
– मट्ठे के साथ आंवला-चूर्ण बवासीर में आराम पहुंचाता है। सूखे चूर्ण के पानी के साथ पीने से खूब भूख लगती है। गाय के दूध में आंवले का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से आंखों की कमजोरी समाप्त हो जाती है। गर्म दूध के साथ इसका चूर्ण सूखी खांसी में भी लाभप्रद है।
– नकसीर फूटने पर आंवले के चूर्ण या चीनी के साथ शर्बत पिलाना लाभकारी होता है। यह शर्बत नियमित सेवन करने से पित्त शांत रहता है। गर्मियों में नियमित आंवले का शर्बत पीने से लू लगने का खतरा नहीं रहता।
– रात को आंवले का 10 ग्राम चूर्ण पानी में भिगो दें, सुबह उसका पानी छानकर पीएं। ऐसा नियमित करने से, यदि पुराने समय से दस्त लगे हों तो वे जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
– शहद के साथ आंवले का सेवन बड़ा ही गुणकारी है। शहद में आंवले का चूर्ण मिलाकर चाटने से बैठा गला खुल जाता है। यह महिलाओं को रक्तप्रदर से छुटकारा प्रदान करता है।
सौंदर्य प्रसाधन के रूप में
– कच्चा आंवला शैम्पू का कार्य करता है। इसे पीसकर बालों की जड़ों में लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें, फिर केश धोएं, बाल निखर जाएंगे। आजकल आंवला केश-तेल का प्रचार खूब हो रहा है क्योंकि यह बालों को काला एवं घना बनाए रखता है।
– इसका उबटन शरीर को चिकना और कोमल बनाता है।
– आंवले का चूर्ण रात को पानी में भिगोएं तथा प्रात: छने पानी से चेहरा धोएं। इससे मुहांसे नियंत्रित होते हैं। आंवला अकेले ही गुणों की खान है। यदि इसे त्रिफला के साथ उपयोग में लाया जाए तो लगभग सभी रोगों का उपचार कर सकता है। अत: इसके गुणों को देखते हुए हर किसी को इसका पेड़ लगाना चाहिए ताकि वैद्य घर में घुसने न पाए। इसकी विकसित प्रजातियां किसी भी भूमि में उगाई जा सकती हैं। यदि आंवले को एक औषधि वृक्ष कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।