
अस्पताल के एक बयान में कहा, ‘हमारे अस्पतालों में अब तक हुई 82 मौतों में से 60 प्रतिशत वह थे जिनका या तो वैक्सीनेशन नहीं हुआ था या आंशिक हुआ था।’ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी इस बात पर जोर देते रहे हैं कि मृत्यु उन रोगियों में हो रही है जो प्रतिरक्षित हैं और बीमारियों से पीड़ित हैं। महामारी की तीन लहरों के तुलनात्मक अध्ययन में यह भी कहा गया है कि महामारी की तीसरी लहर के दौरान केवल 23.4 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता हुई है, जबकि दूसरी लहर के दौरान 74 प्रतिशत और पहली लहर के दौरान 63 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन सहायता की जरूरत पड़ी थी।
दूसरी लहर जैसी बेड्स की किल्लत नहीं
अस्पताल ने कहा कि जब दिल्ली ने अप्रैल में दूसरी लहर के दौरान 28,000 मामले दर्ज किए थे, तो सभी अस्पतालों के बेड फुल हो गए थे और कोई भी आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं थे, जबकि इस लहर के दौरान पिछले सप्ताह अधिक संख्या में मामले सामने आए थे, तो अस्पतालों में बेड्स औरआईसीयू की उपलब्धता का कोई संकट नहीं था।