रामगढ़ : झारखंड जो नाम से ही जंगल -झाड़ का एहसास देता है, जो वनों की भूमि है उस प्रदेश में कई ऐसे पुरोधा भी हैं जो अनवरत इसकी रक्षा – संरक्षा में लगे है।
विश्व पर्यावरण दिवस पर ऐसे ही एक पुरोधा से रूबरू कराते हैं जो झारखंड के रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड स्थित छोटकी डूंडी निवासी वीरू महतो (50 वर्ष) पर्यावरण रक्षक की भूमिका निभा रहे हैं।
युवा अवस्था में बनें जंगल बचाओ आंदोलन का हिस्सा
महतो अपने युवा अवस्था में ही जंगल बचाओ आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। ग्रामीण परिवेश ऊपर से अपने गांव से लगे जंगल की हरियाली ने इनका मन मोह लिया और विगत तीन दशक से जंगल बचाने की मुहिम में जुटे हैं। वीरू महतो ने रामगढ़ वन और बोकारो वन प्रक्षेत्र के तहत पड़ने वाले 661 एकड़ वन भूमि में हजारों पौधे लगाए और उन्हें संरक्षित किया जो अब घने जंगल के रूप में बदल चुकाहै।
आठ लाख रुपये का प्रोत्साहन
महतो नें मुख्यमंत्री जन वन योजना के तहत अपने एक एकड़ रैयती भूमि में फलदार वृक्ष लगाया है जो आज फलने – फूलने लगा है। महतो के पर्यावरण संरक्षण के लिए किये गए समर्पण को लेकर रामगढ़ और बोकारो वन प्रमंडल द्वारा 2016- 17 में आठ लाख रुपये का प्रोत्साहन राशि भी दी है। जंगल में ही घर बनाकर सपरिवार रहने वाले पर्यावरण प्रेमी वीरू महतो ने कहना है कि बचपन में उन्होंने पूरे क्षेत्र को चारों तरफ जंगल से घिरा देखा था जिसमें कई किस्म के जंगली जानवर भी थे।
जंगल ही है जो हमें इंसान होने का एहसास कराते
पढ़ाई के दौरान पर्यावरण के विषय में जानने को मिला और इसका दुष्परिणाम भी पता चला। तब से ही जंगल बचाने का संकल्प ले लिया। कंक्रीटों के शहर में जंगल ही है जो हमें इंसान होने का एहसास कराते है। महतो ने विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं, उनसे दोस्ती करें वो भी इंसानो की तरह जज्बाती हैं बाते करते है।