कोरोना वायरस के मरीजों में न्यूरोलॉजिकल समस्या देखी जा रही है। इसका खुलासा कई अध्ययन में हो रहा है। इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस के संस्थापक चेयरमैन डॉ. रोबिन सेनगुप्ता कहते हैं कि कोविड रोगियों में कई तरह की केस रिपोर्ट में न्यूरोलॉजिकल अभिव्यक्तियों की एक विस्तृत विविधता का संकेत मिला है। जूली हेल्स, फ्रांस में स्ट्रासबर्ग यूनिवर्सिटी अस्पताल में आईसीयू में एक इंटेंसिविस्ट ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अपने सहयोगियों के साथ न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के साथ अध्ययन प्रकाशित किया। उन्होंने पाया कि मार्च 2020 से कोविड-19 के साथ आईसीयू में लगभग हर मरीज सांस लेने में कठिनाई, भ्रम और कंपकंपी से भी जूझ रहा था। ये वास्तव में एन्सेफैलोपैथी या मस्तिष्क को नुकसान के संकेत हैं। उन्होंने बताया कि आईसीयू में 58 रोगियों में से 40 (69%) में एन्सेफैलोपैथी के सबूत थे।
चीन से भी इसी प्रकार की समस्या सामने आई
चीन के वुहान से भी इसी प्रकार की समस्या सामने आई थी, जहां यह संक्रमण पहली बार शुरू हुआ था। कोविड-19 के साथ 214 भर्ती मरीजों में 16 मरीज (7%) में एन्सेफैलोपैथी विकसित थी। यह अनुमान है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 2-6% रोगियों में स्ट्रोक की सूचना है। अब तक स्ट्रोक के 96 रोगियों का वर्णन किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के एक न्यूरोलॉजिस्ट शेरी चो को लगता है कि हालांकि, फेफड़ों पर वायरस का प्रभाव सबसे तत्काल और भयानक खतरा है, तंत्रिका तंत्र पर स्थायी प्रभाव कहीं अधिक बड़ा और विनाशकारी है। इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज कोलकाता (आईएनके), न्यूरोलॉजी अस्पताल होने के नाते कोविड-19 रोगियों को स्वीकार नहीं करता है। हालांकि, यह ऐसे रोगियों को स्वीकार करता है यदि किसी में गंभीर संबद्ध न्यूरोलॉजिकल लक्षण हैं। इस तरह के कई रोगियों को कोविड-19 पॉजिटिव होने की तीव्र तंत्रिका संबंधी समस्याओं के साथ भर्ती कराया गया था। एक रोगी को एन्सेफैलोपैथी के रूप में भर्ती लिया गया था। मेडिकल स्टाफ का एक सदस्य जिसे कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भर्ती कराया गया था, वह काफी उत्तेजित हो गया था।
कोरोना के एक तिहाई मरीजों में न्यूरोलॉजिकल समस्या
इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज, कोलकाता के वाइस चेयरमैन डॉ. ऋषिकेश कुमार ने कहा कि कोरोना के एक तिहाई मरीज जो कि अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं उनमें न्यूरोलॉजिकल समस्या देखी जा रही है। इसके अलावा हल्के लक्षण वाले मरीजों में सिर दर्द व गंध न मिलने की परेशानी भी मिल रही है। वायरल संक्रमण तंत्रिका तंत्र तक या तो रक्त के माध्यम से या नाक के माध्यम से पहुंचता है। नाक के अंदर से मस्तिष्क से जुड़ी गंध तंत्रिकाओं (घ्राण तंत्रिकाओं) की प्रचुर आपूर्ति होती है। वायरस पहले इन गंध तंत्रिकाओं को प्रभावित कर सकता है और इसके माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। मस्तिष्क का सूजन (एन्सेफलाइटिस), ब्रेन स्ट्रोक, माइलिटिस (रीढ़ की हड्डी की सूजन) या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विघटन (नसों की सफेद कवरेज को कम करना) संबंधी समस्याएं कोरोना के मरीजों में सामने आ सकती हैं। ज्यादातर अस्पताल संभव है कि न्यूरोलॉजिकल संबंधी चिकित्सा के लिए तैयार न हों। यह एक चुनौती है। ऐसे में समय पर ऐसे मरीजों को चिकित्सा मिलना आवश्यक है।
कोरोना के 2 से 6 फीसदी मरीजों में स्ट्रोक
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