सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं ये 9 साग

कोलकाता : हरी पत्तेदार सब्जियां हमारी स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी हैं। सभी पत्तेदार सब्जियों में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन अफसोस इस बात का है कि इनमें कोई स्वाद नहीं होता, इसलिए बच्चे इन्हें देखकर ही नाक मुंह सिकोडऩे लगते हैं। वहीं बड़े लोगों के ये पत्तेदार साग बड़े फेवरेट होते हैं।
वैसे तो साग हर सीजन में खाना चाहिए, लेकिन इनकी तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इन्हें खाने से बहुत फायदे होते हैं। आपने अब तक सरसों का साग, मेथी का साग और पालक के साग के बारे में ही जानते होंगे, लेकिन बाजार में और भी कई तरह के साग मिलते हैं, जो सेहत के लिए बहुत अच्छे हैं और हमें कई बीमारियों से भी बचाते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं अलग-अलग तरह के साग और इनके स्वास्थ लाभों के बारे में।
​सहजन का साग –
सहजन की फली खाने में बेहद स्वाद लगती है, लेकिन इसके साग के बारे में कम ही लोग जानते हैं। सहजन के पत्ते विटामिन, प्रोटीन और सभी आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर होते है। यह मौसमी साग है, इसलिए हर सीजन में हो सकता है यह उपलब्ध ना हो। गठिया, मधुमेह, हदय रोग, श्वासन, त्वचा और पाचन विकार जैसी समस्याओं से निपटने के लिए इस सीजनल साग को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।
पालक का साग
यह एक गहरे हरे रंग का पत्तेदार साग है, जो त्वचा, हड्डियों और बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। खासतौर से सर्दियों में इसका सेवन किया जाए, तो आप बीमार कम पड़ते हैं। डायबिटीज के लोगों को अक्सर पालक खाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।
आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर होने की वजह से यह कैंसर के खतरे को कम करता है। डॉक्टर्स भी हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पालक खाने की सलाह देते हैं।
​हेलेंचा साग –
बंगाल का यह फेमस साग अपने कड़वे स्वाद और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके सेवन से नींद में सुधार के साथ वजन घटाने में मदद मिलती है। एंटीमाइक्रोबियल गुण होने के कारण यह त्वचा रोगों के उपचार में बहुत प्रभावी है।
अरबी का साग –
अरबी का साग या अरबी का पत्ता कहने को तो बेस्वाद होता है, लेकिन लोग इसे स्टीम्ड या डीप फ्राई करके स्नैक्स के रूप में खाते हैं। इन्हें बनाने के लिए कई तरह के मसालों का इस्तेमाल होता है। अगर इसका सेवन नियमित तौर पर किया जाए, तो मोतियाबिंद होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसमें विटामिन सी की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिससे वाइट ब्लड सेल्स का निर्माण होता है। इतना ही नहीं, यह बैक्टीरिया और वायरस से लडऩे में भी आपकी पूरी मदद करता है।
​मेथी का साग-
सर्दियों में ज्यादातर लोग मेथी का साग खाना पसंद करते हैं। कई घरों में तो इसकी सब्जी और परोठे तक बनाए जाते हैं। इस लो कैलोरी वाले पत्तेदार साग में ट्राइगोनेलिन, डायोसजेनिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में कारगार हैं।
​बथुआ का साग-
बथुआ का नाम तो लगभग सभी ने सुना होगा। सर्दियों में हर भारतीय घर में इसकी सब्जी, पराठे और यहां तक की रायता बनाया जाता है। आमतौर पर बिहार के लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं।यह साग चेनोपोडियम एल्बम, लैम्ब्स क्र्वाटर के नाम से भी मशहूर है। पाटेशियम, फास्फोरस, जिंक, कैल्शियम और अन्य एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह साग ब्लड प्यूरीफायर का काम करता है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड के कारण यह पचने में आसान है।
कलमी साग-
कर्नाटक में कलमी साग काफी मशहूर है। इसे एनी सोप्पू नाम से जाना जाता है। बता दें कि यह पानी वाला पालक है, जो वजन घटाने में मदद करता है। यह कम कैलोरी वाला साग विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर है। इतना ही नहीं आयरन की कमी से होने वाले ऑस्टियोपोरोसिस और एनीमिया को रोकने में भी यह कारगार है।
चौलाई का साग-
इस साग का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा। यह आमतौर पर हिमालय की तलहटी और दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है। कई लोग इसे अमरनाथ के पत्तों के रूप में भी जानते हैं। इसमें कैल्शियम, सोडियम, विटामिन ए , ई , सी और फॉलिक एसिड पाया जाता है। आरयरन का स्त्रोत होने के कारण सुनहरे, लाल और बैंगनी रंग के पत्ते आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बहुत अच्छे हैं।
गोनगुरा साग-
यह साग हर जगह तो नहीं, लेकिन भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है। कई लोग इसे खाना पसंद करते हैं। इसमें विटामिन, आयरन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व कई बीमारियों का इलाज हैं। आमतौर पर लोग इसका सेवन चटनी, अचार के रूप में ज्यादा करते हैं।
यहां बताए गए अलग-अलग तरह के साग में भले ही कोई स्वाद न हो, लेकिन ये हर रोग का बेहतरील इलाज हैं। इसलिए सीजन के अनुसार इन पत्तेदार साग का सेवन करें और खुद को बीमार होने से बचाएं।

 

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