
नई दिल्ली : बॉडीपेन एक आम समस्या है, लेकिन इसका सही वक्त पर इलाज बेहद जरूरी है। हालाँकि इसके हलके में ना लें, कई बार शरीर का मामूली दर्द भी बड़ी समस्या की वजह हो सकता है। शरीर के किसी हिस्से में आपको दर्द हो सकता है और अक्सर लोग घुटने के दर्द, गर्दन के दर्द, पैर दर्द और पेट दर्द से परेशान रहते हैं। कभी यह दर्द धीरे से होता हे तो कभी यह तेज हो जाता है। अक्सर लोग कमर दर्द से परेशान होते हैं और इसकी शुरुआत धीरे से शुरू होती है और फिर यह तेज होता जाता है।
कमर का दर्द
कमर दर्द के दो कारण हो सकते हैं। इस तरह के तेज दर्द को एक्यूट पेन कहते हैं, इस तरह का दर्द अक्सर अधिक भार उठाने या किसी नस के खिंचने से होता है। इसमें बैक में एक चुभन-सी महसूस होती है और कई बार यह आराम करने, सिकाई करने और दवा आदि लगाने से दो-चार दिन में ठीक हो जाता है।
क्रॉनिक पेन
क्रॉनिक पेन लंबे टाईम तक रहता है और इसका सही इलाज जरूरी है। बैक दर्द के साथ साइटिका का दर्द भी जुड़ा है। साइटिका शरीर में सबसे बड़ी नर्व होती है, जो कमर से लेकर पंजे तक जाती है। दबने पर यह दर्द शुरू होता है। इस तरह के दर्द में जल्द सावधानियां बरतें तो आपको दर्द में राहत मिल सकती है। वजनी सामान ना उठाएं और आगे की ओर ना झुकें। घुटनों के बल बैठें और बिस्तर से उठते हुए पहले करवट लें और फिर उठें। इससे बैक दर्द कम होगा।
क्यों दर्द किसी भी टाईम में अधिक हो जाता है?
दर्द सिर्फ बाहरी कारणों जैसे चोट या अधिक काम से नहीं होता, बल्कि लागातार काम करने और किसी एक ही जगह पर घंटो बैढ़े होने के कारण हो सकता है। रिसर्च बताते हैं कि दर्द कि स्थिति 24 घंटे की दिनचर्या का पालन करती है। इन 24 घंटे की दिनचर्या में दर्द का स्वरुप टाईम-टू-टाईम बदलता रहता है। हमारा शरीर एक आंतरिक सर्केंडियन पर वर्क करता है, जिसका मतलब है कि 24 घंटे की आंतरिक घड़ी, जिसके अनुसार शरीर काम करता रहता है। हमारे शरीर के न्यूरॉन्स सहित अलग-अलग कोशिकाओं की अपनी खुद की सर्केंडियन क्रम (24-घंटे की दिनचर्या) हो सकता है।
दर्द का साइकल
दर्द का क्रम समय समय पर बदलता रहता है। शुरू में दर्द कम होता हैं और हम उसे इग्नोर कर देते हैं, लेकिन ऐसा करने से आगे जाकर दर्द क्रॉनिक हो जाता है। यह दर्द सहन करने की क्षमता को कम कर देती है। दर्द जोड़ों से शुरू होता है और शरीर का वो अंग जो आसानी से मुड़ता है या जिसमें अकड़न होती है जैसे कि कोहनी, कलाई, घुटना, गर्दन, कमर, उंगलियां, टखने आदि में दर्द ज्यादा होता है।
क्या कहते हैं रिसर्च
इजरायल के शोधकर्ताओं द्वारा 2015 में किए गए एक रिसर्च के मुताबिक दिन के अलग-अलग समय पर पुरुषों के एक समूह को गर्मी और सर्दी के दर्द से अवगत कराया था, जिसमें पाया गया कि पुरुष सुबह के समय दर्द के प्रति कम से कम संवेदनशील थे। इसी कारण उनमें दर्द का असर रात के समय में अधिक देखा गया। महिलाओं में भी समान स्तर का परिणाम देखा गया और नयूरोपेथिक दर्द जैसे पोस्टहेरपेटिक न्यूरेल्जिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी या कैंसर शाम या रात के दौरान तेज हो जाते हैं।