भारत के लिए अगला एक साल कैसा रहेगा, जानें स्वतंत्रता दिवस की कुंडली से

कोलकाताः वर्ष कुंडली या ताजिक पद्धति सूर्य के एक वर्ष बाद पुनः अपनी जन्म कुंडली की स्थिति में लौट कर आने पर बनने वाली ग्रह स्थिति के आधार पर आगामी एक वर्ष के फलकथन के लिए प्रयोग की जाने वाली एक ज्योतिषीय तकनीक है। साधारण भाषा में इसे हम ‘वर्ष-फल’ भी कहते हैं, जो की उत्तर भारत में मुगल काल में ज्योतिष की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ था।
जिस प्रकार किसी व्यक्ति के जन्म समय के आधार पर प्रतिवर्ष उसकी वर्ष-कुंडली बनती है, उसी तरह किसी राष्ट्र या संसथान की स्थापना के समय के आधार पर भी वर्ष-कुंडली बना कर फलकथन करने की ज्योतिषीय परंपरा सैंकड़ो वर्ष पुरानी है। आजाद भारत (15 अगस्त 1947 मध्य रात्रि, दिल्ली) की कुंडली में इस वर्ष 14 अगस्त रात्रि 11 बजकर 03 मिनट पर सूर्य अपनी जन्मकालीन अंश-कला पर पहुंच जाएंगे, उस समय के आधार पर मेष लग्न की वर्ष कुंडली बनती है। आजादी के 74 वर्ष पूर्ण होने पर इस बार की वर्ष कुंडली मेष लग्न की है, जो की आजाद भारत की वृषभ लग्न की कुंडली का बाहरवां भाव होकर बड़े खर्च और कुछ हानि के योग दिखा रहा है।
कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने में होगा बड़ा खर्चा
आजाद भारत की वर्ष कुंडली में धन स्थान में बैठे राहु तथा अष्टम भाव में पड़े केतु महामारी से लड़ने में सरकारी कोष से बड़े व्यय का योग दिखा रहे हैं। वर्ष कुंडली में धन भाव के स्वामी शुक्र नीच के हो कर रोग के छठे भाव में बैठे हैं, जो कि सरकार द्वारा महामारी से बड़े राजकोषीय घाटे का योग दिखा रहे हैं। कोरोना महामारी की तीसरी लहर इस वर्ष सितंबर से नवंबर तक आर्थिक गतिविधयों को काफी नुकसान पंहुचा सकती हैं लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों के सम्मलित प्रयासों से दूसरी लहर की तुलना में मृत्यु दर बेहद कम होगी।
शिक्षा पर होगा बड़ा व्यय

वर्ष कुंडली के पंचम भाव में लग्नेश मंगल शिक्षा के कारक बुध से युत हो कर गुरु के साथ दृष्टि संबंध बना रहे हैं। पंचमेश सूर्य का तकनीकी शिक्षा के कारक ग्रह शनि से दृष्टि संबंध कर्म स्थान पर बन रहा हैष इस योग के प्रभाव से केंद्र सरकार तकनीकी शिक्षा, विशेष कर मेडिकल और इंजीनियरिंग, में बड़े निवेश कर सकती है। भारतीय विद्यार्थियों के लिए विदेश में पढ़ने के नए अवसर भी अगले एक वर्ष में बढ़ेंगे।
सत्ता-पक्ष और विपक्ष में बढ़ेगा तनाव
वर्ष कुंडली में मुंथा चतुर्थ भाव में बैठी है तथा चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्रमा है। चतुर्थ भाव और चंद्रमा दोनों वक्री शनि की दृष्टि से पीड़ित होकर बेहद अशुभ स्थिति में हैं। ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव बढ़ेगा, किसी बड़े नेता के साथ अनहोनी घटना अगले तीन महीनों में हो सकती है तथा महंगाई बढ़ने से आम जनता को बेहद कष्ट हो सकता है। चतुर्थ भाव मेदिनी ज्योतिष में संसद, सरकारी इमारतों तथा आम जनता की सुख-समृद्धि का होता है, जिसमें कमी के संकेत इस बार की वर्ष कुंडली में एक अशुभ योग हैं।

 

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