
पटना : लोकसभा चुनावों में विपक्ष की हार से बिहार में सत्तारूढ़ जद (यू) – भाजपा गठबंधन जहां 2019 के पूर्वार्द्ध में मजबूत दिखा, वहीं इसके बाद के महीने में इसे खासी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा क्योंकि व्यापक पैमाने पर फैले मस्तिष्क ज्वर में 200 बच्चों की मौत हो गयी और अचानक आई बाढ़ के कारण राज्य की राजधानी टापू में बदल गयी। विभिन्न कारकों से लोकसभा चुनावों में राजग को 40 में से 39 सीटें हासिल हुईं वहीं लालू प्रसाद के राजद को एक भी सीट नसीब नहीं हुई।
गैर राजग दल जिसने एक सीट हासिल की, वह है राजद की सहयोगी कांग्रेस लेकिन राज्य में अब यह पुरानी पार्टी भी मजबूत नहीं रह गयी है। राजग को आश्चर्यजनक जीत हासिल हुई। राज्य के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा नीत गठबंधन के बाहर के दल केवल 18 क्षेत्रों में बढ़त हासिल कर सके। विपक्ष की कमजोरी के अलावा राजग को अपने नेताओं के करिश्मे, वोटों के अंतरण और बालाकोट हवाई हमले के बाद देशभक्ति की भावना का फायदा मिला। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में हवाई हमला कर आतंकवादियों के शिविर को तबाह किया था। बहरहाल, वर्ष के अंत में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर राज्य में आंदोलन हुए। इससे गठबंधन में तनाव दिखा। जद (यू) ने संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएबी) के पक्ष में वोट दिया था लेकिन जद (यू) प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनआरसी की कवायद का पूरे जोर-शोर से विरोध किया। इसी वर्ष उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को 11 न्यायाधीशों के एक पीठ ने खत्म कर दिया, जिन्होंने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर आपत्ति जतायी थी। इस मामले में तभी सुलह हुआ, जब न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ए.पी. शाही के साथ भारत के प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की, जिन्होंने उनके अधिकार क्षेत्र वापस कर दिए।
इस वर्ष की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में सेक्स स्कैंडल के मामले में धीमी प्रगति पर नाखुशी जाहिर करते हुए मामले को नयी दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया। अब साकेत की पॉक्सो अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है और जल्द ही फैसला आ सकता है। वहीं, लोकसभा चुनावों में हार का स्वाद चखने वाले विपक्ष ने हाल में संपन्न विधानसभा उपचुनावों में वापसी की। महागठबंधन में निराशा का माहौल तब दिखा, जब मस्तिष्क ज्वर और बाढ़ जैसे मुद्दों पर वह सरकार को नहीं घेर सका। बाढ़ के कारण 13 जिलों में करीब 130 लोगों की मौत हो गयी और करीब 90 लाख लोग विस्थापित हो गए, वहीं अक्टूबर में मूसलधार बारिश से पटना और आसपास के कई इलाके जलमग्न हो गए। कई दिनों तक घरों में फंसे हजारों लोगों को बाहर नहीं निकालना पड़ा।
बिहार में 2020 में राजग के सत्ता में लौटने पर नयी सरकार का मुखिया कौन बनेगा, इसको लेकर काफी समय तक माथापच्ची चलती रही और जब अमित शाह ने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार ही गठबंधन के नेता होंगे, तब जाकर यह मुद्दा शांत हुआ। पूरे वर्ष नीतीश कुमार के राजनीतिक कदम खबरों में बने रहे क्योंकि उन्होंने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में अपनी पार्टी के प्रतिनिधित्व से इनकार कर दिया था। उनकी पार्टी ने ‘तीन तलाक विधेयक’ और ‘जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा को समाप्त करने वाले विधेयक’ पर संसद से बहिर्गमन किया। बहरहाल आश्चर्यजनक तरीके से उनके सांसदों ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक के पक्ष में मतदान किया।
पड़ोसी राज्य झारखंड में जद (यू) ने विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा और नीतीश कुमार ने अपने पुराने मित्र सरयू राय का समर्थन किया, जिन्होंने राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुबर दास के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन को लेकर नीतीश कुमार के प्रयासों का बिल गेट्स ने जब समर्थन किया तो उनके लिए खुशी की बात थी क्योंकि कई लोगों ने इसकी आलोचना की थी।
जबकि, लालू प्रसाद का परिवार विवादों को लेकर सुर्खियों में रहा। उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की शादी पिछले वर्ष मई में पार्टी विधायक चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से हुई थी, लेकिन छह महीने बाद ही तेजप्रताप ने तलाक की याचिका दायर कर दी। ऐश्वर्या राय ने कई मौकों पर अपने ससुराल के लोगों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए। उन्होंने हाल में एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें अपनी सास और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर उन्हें पीटने और घर से बाहर निकालने के आरोप लगाए। राबड़ी देवी ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उन्हें अपनी बहू से जान का खतरा है।