
नई दिल्ली : शारीरिक गतिविधियाँ या एक्सरसाइज ना करना या जंक फूड का जरूरत से ज्यादा सेवन के कारण आजकल ज्यादातर बच्चे मोटापे का शिकार बन रहे हैं। बच्चों में बढ़ता मोटापा चिंता का विषय है, यह कई अन्य कई बीमारियों का कारण बन रहा है। कम ऊम्र में बच्चे डायबिटीज का शिकार बन रहे हैं। एक्सचपर्ट कहते हैं कि बच्चों को मोटापा और डायबिटीज जैसे बीमारियों से बचाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जागरूकता जरूरी है।
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के एंडोक्राइनोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्ट र एस.के. वांगनू के अनुसार आजकल बच्चे खेल-कूद की जगह अपना ज्याकदातर समय इंडोर एक्टिविटी में बिताते हैं। फिजिकल एक्टिविटी ना होने के कारण मोटापे का शिकार हो रहे हैं, जिसका घातक परिणाम है कम उम्र में डायबिटीज । डायबिटीज का शरीर पर बुरा असर पड़ता है।
डायबिटीज नवजात शिशुओं को भी चपेट में ले सकता है, लेकिन इसके बारे में लोगों को जागरूकता बेहद कम है। नियोनेटल डायबिटीज बच्चों में 6 माह की उम्र से पहले भी हो सकता है। अध्ययन के मुताबिक बच्चों में मोटापा टाइप-2 डायबिटीज का कारण बन सकता है, ऐसे में समय पर बीमारी के लक्षणों को समझना और इलाज जरूरी है, प्री डायबिटीज को डायबिटीज में बदलने से रोका जा सकता है।
क्या है उपाय
डायबिटीज का मुख्य कारण अनहेल्दीद लाइफस्टासइल है। आपको बच्चों को कुछ अच्छी आदतों को अपनाना होगा।
वजन करें कंट्रोल
बच्चो में ब्लड शुगर को नियन्त्रण में रखने के लिए बीएमआई सही रखें और इसके लिए काबोहाइड्रेट का सेवन सीमित मात्रा में करें। बच्चों को फाइबर और प्रोटीन से भरपूर डाइट दें। हरी सब्जियों, फलों, फलियों और साबुत अनाज का सेवन करें। अगर परिवार में डायबिटीज का इतिहास है तो नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करवानी चाहिए।
ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड पर कंट्रोल रखें। डायबिटीज दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकता है, ऐसे में ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखना बहुत जरूरी है। डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी है। इससे ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड कंट्रोल में रहेंगे तो बच्चे तनाव पर भी काबू पा सकते हैं। हफ्ते में कम से कम पांच दिन 45 मिनट के लिए एक्सरसाइज करने दें , जिससे उन्हें अच्छी नींद आएगी।