इन दिनों रुद्राक्ष पहनने का चलन बढ़ रहा है महिलाओं में, इन रोगों में दिलाता है राहत

नई दिल्ली : आईएमए द्वारा किए किए गए एक अध्ययन के अनुसार अनियमित दिनचर्या और तनाव ने आजकल युवाओं में भी ब्लड प्रेशर को बढ़ा दिया है। इस अध्ययन के मुताबिक हर दस में से छह लोगों का बीपी सामान्य से अधिक या कम पाया जाता है। इसमें राहत के लिए इन दिनों रुद्राक्ष चलन में है, रूद्राक्ष में मौजूद इलेक्ट्रो मैगनेटिक उर्जा को बीपी नियंत्रित करने के लिए अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। यही कारण है कि बीते कुछ दिनों से शक्ति संचारित रूद्राक्ष की मांग बाजार में बढ़ गई है।

जानकारों का कहना है कि इनमें सबसे अधिक पांच मुखी रूद्राक्ष को पसंद किया जा रहा है, जिसे कोई भी धारण कर सकता है। भगवान शिव के आंसू रूपी रूद्राक्ष के प्रयोग को लेकर हालाँकि अभी भी लोगों में कम जागरूकता है। इलाहाबाद में मीरापुर में मैरेकल स्प्रिचुअल हिलिंग सेंटर चलाने वाले लाइफ कोच और हीलर अमरजीत सिंह ने बताया कि गुरूपूर्णिमा के लिए पांच हजार रूद्राक्ष को विशेष पूजा के तहत शक्ति संचारित किया गया, जिसकी अधिकांश प्रति बुक कराई जा चुकी है।

हर साल गुरूपूर्णिमा के बाद बीपी और दिल की बीमारी के मरीज बढ़ी संख्या में रूद्राक्ष की मांग लेकर यहां पहुंचते है। हालांकि रूद्राक्ष धारण करने से पहले गोत्र नाम और उम्र के अनुसार सोमवार और वृहस्पतिवार को ही ओम नम: शिवाय जाप के साथ रूद्राक्ष को धारण करने की सलाह देते हैं। इलाहाबाद में जापान और इंडोनेशिया से हर साल लाखों की संख्या में रूद्राक्ष मंगाए जाते है। साधारण रूद्राक्ष का मोती 75 से 250 रुपए तक मिलता है, जबकि शक्तिसंचारित रूद्राक्ष की कीमत ढाई हजार से शुरू होकर डेढ़ लाख रुपए तक होती है।

क्या कहता है विज्ञान
वर्ष 1985 में महाराष्ट्र के एक वैद्य ने शोध में इसे पाया कि यह बीपी को नियंत्रित करता है। रूद्राक्ष ही नहीं इसका पाउडर भी बीपी को नियंत्रित करने मददगार है। हालाँकि धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा होने के कारण अभी भी इस पर अधिक शोध नहीं हुआ। रूद्राक्ष को पानी में डुबोने पर पानी की इलेक्टिकल शक्ति में परिवर्तन देखा गया है।

डॉ. गोडे के शोध में पाया गया कि रूद्राक्ष में स्ट्रिल और पोलीफेलोनिक गुण पाए जाते हैं, इसके एल्कनॉयड की मात्रा न के बराबर होती है। रूद्राक्ष शरीर से उत्सर्जित होने वाले विषाक्त या टॉक्सिक तत्वों को संतुलित करता है।  वहीँ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बनारस द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक डॉ. सुहास रॉय के शोध के जरिए यह बात साबित हुई कि पसली के नीचे दिल से ठीक ऊपर धारण किया गया रूद्राक्ष धड़कनों को नियंत्रित रखता है।

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