कोलकाता : शनिवार के दिन कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले शनि देव की पूजा का विधान है। शनि देव से जुड़ी कई रोचक कथाएं हैं जिनका जिक्र हिन्दू धर्म ग्रंथों में मिलता है। उन्हीं में से एक है शनि देव के हनुमान जी डरने के पीछे की कथा।
शनि देव को यह देख क्रोध आया और उन्होंने हनुमान जी का ध्यान भंग करने की कोशिश की। हनुमान जी ने शनि देव को कई संकेत दिए लेकिन शनि देव ने हनुमान जी के ध्यान में विघ्न डालना जारी रखा।
हनुमान जी शनिदेव के पास पहुंचे तो शनिदेव ने उन्हें सारा वृत्तांत सुनाया कि कैसे शनि की वक्र दृष्टि से बचने के लिए रावण ने उन्हें बंदी बनाकर एक छोटे से तहखाने में छुपा दिया जिससे कोई भी देवी देवता उनकी सहायता के लिए उन्हें खोज न पाएं। यह सुनकर हनुमान जी को बड़ा दुख हुआ और उन्होंने शनि देव की विनती पर रावण की कैद से उन्हें मुक्त करा दिया। माना जाता है कि शनि देव के कारण ही हनुमान जी लंका दहन की घटना को अंजाम दे पाए थे। दरअसल, जब हनुमान जी ने शनि देव को रावण के अत्याचार से मुक्त कराया तब शनि देव ने समूची लंका पर अपनी वक्र दृष्टि डाली जिसके बाद हनुमान जी के लिए लंका का दहन करना सहज हो गया।
इसके अलावा, हनुमान जी के शनि देव को मुक्त कराए जाने पर शनि देव (शनि देव की कृपा पाने के उपाय) हनुमान जी से प्रसन्न थे जिसके बाद उन्होंने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि जो भी कोई व्यक्ति हनुमान जी की पूजा करेगा और शनिवार के दिन उनके मंत्रों का जाप करेगा शनि देव उसे कभी परेशान नहीं करेंगे और न ही उस व्यक्ति पर अपनी वक्र दृष्टि डालेंगे।