एडिनो वायरस से मर रहे हैं बच्चे : स्कूलों में शुरू हुई सोशल डिस्टेंसिंग

कल्पना सिंह
कोलकाता : कोरोना वायरस के खौफ से लोग अभी भी पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाए हैं और अब एडिनो वायरस की वजह से जान जा रही है। आईसीएमआर-एनआईसीईडी ने पश्चिम बंगाल के कुछ बच्चों का टेस्ट किया है, जिसमें सांस के इन्फेक्शन के कम से कम 32% नमूनों में वायरस पाया गया। शहर के दो अलग-अलग अस्पतालों में महज 24 घंटे के भीतर तीन बच्चों की मौत मुख्य रूप से तीव्र श्वसन संक्रमण (एआरआई) के कारण हुई है। हालांकि, राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक देवाशिष भट्टाचार्य ने बिधान चंद्र रॉय चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल का दौरा करने के दौरान कहा कि राज्य में हाल ही में सभी शिशुओं की मृत्यु एडिनो वायरस के कारण नहीं हुई है। अधिकांश बच्चों की मौत निमोनिया संक्रमण के कारण हुई है। वहीं, कई बच्चों की मौत वायरल फीवर के कारण भी हुई है।
स्कूलों में मास्क-सैनिटाइजर-सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू
इसी बीच सोमवार से महानगर के कई स्कूलों में मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू कर दिये गये हैं। साउथ प्वाइंट, भारतीय विद्या भवन, कलकत्ता गर्ल्स जैसे कई स्कूलों में फिर से मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। कई स्कूलों ने कहा है कि अगर आपको या आपके परिवार में किसी को बुखार, सर्दी या खांसी है तो आपको स्कूल नहीं आना है। यदि आवश्यक हुआ तो परीक्षा की व्यवस्था बाद में की जाएगी या किसी अन्य परीक्षा के अंकों के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन किया जाएगा।
बाल रोग विशेषज्ञों के साथ होगी अहम बैठक
राज्य में बच्चों की लगातार हो रही मौतों के बाद देवाशिष भट्टाचार्य ने सोमवार को बीसी रॉय अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिये अस्पताल का दौरा करने आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही सभी बाल रोग विशेषज्ञों के साथ एक बैठक आयोजित की जाएगी जहां इस गंभीर बीमारी से निपटारे की योजना बनायी जायेगी।
बेड की संख्या बढ़ाने पर हो रही चर्चा
देवाशिष ने कहा, हम स्थिति को संभालने के लिये कमर कस कर तैयार हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘हम भविष्य में अस्पताल के बुनियादी ढांचे में सुधार पर भी विचार कर रहे हैं। कोरोना की तरह अस्पतालों में बेड की संख्या कैसे बढ़ाई जाए, इस पर भी चर्चा हो रही है।’
सबसे ज्यादा 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खतरनाक
सीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह वायरस सबसे ज्यादा 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खतरनाक है। चूंकि इस उम्र में बच्चों की इम्यूनिटी थोड़ी कमजोर होती है इसलिए वे एडिनो वायरस की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। आमतौर पर ये वायरस न्यू बॉर्न बेबीज और छोटी उम्र के बच्चों की देखभाल करते समय फैलता है। क्योंकि एक बच्चे की साफ-सफाई के साथ ही दूसरे बच्चे को छूने या बच्चों के एक-दूसरे के संपर्क में आने से ये तेजी से फैलता है।
पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग की टीम ने विशेष रूप से चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को एडवाइजरी जारी की है।
– फ्लू जैसे लक्षण से ग्रस्त होने वाले बच्चों पर सबसे ज्यादा ध्यान दें।
– बच्चों का टेस्ट कराएं, उनके हाल पर ध्यान दें।
– घर में अगर किसी बड़े को सर्दी-जुकाम है तो वे बच्चों से दूर रहें।
– खुद से इलाज न करें, डॉक्टर के अनुसार ही दवाइयां दें।

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