नवरात्रि का आठवां दिन आज, ऐसे करें मां महागौरी की पूजा, जानें मां का स्वरूप, पूजा-वि​धि व मुहूर्त

कोलकाता : चैत्र मास के शुक्लपक्ष में मनाई जाने वाली नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा का विधान है। माता के इस दिव्य स्वरूप के बारे में मान्यता है कि उन्होंने कड़ी तपस्या करके देवों के देव महादेव को पति रूप में प्राप्त किया था। यही कारण है कि नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मनचाहा वर पाने के लिए बड़ी संख्या में अविवाहित लड़कियां देवी का व्रत पूरे विधि-विधान से रखती हैं। आइए माता महागौरी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 28 मार्च 2023 को सायंकाल 07:02 बजे से प्रारंभ होकर 29 मार्च 2023 को रात्रि 09:07 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार दुर्गाष्टमी या फिर कहें मां महागौरी की पूजा का व्रत और पूजन 29 मार्च 2023, बुधवार को ही किया जाएगा।

पंचांग के अनुसार नवरात्रि के आठवें दिन

ब्रह्म मुहूर्त प्रात:काल 04:42 से 05:29 बजे तक रहेगा, जबकि

विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से प्रारंभ होकर 03:19 पर समाप्त होगा।

इस दिन अमृतकाल प्रात:काल 09:02 से 10:49 बजे तक रहेगा।

ऐसा है मां महागौरी का स्वरूप

पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप मानी जाने वाली मां महागौरी ने का स्वरूप बहुत दिव्य है और वह बैल की सवारी करती हैं। गौर वर्ण वाली माता महागौरी ने अपने चार हाथों में एक में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू लिया हुआ है। वहीं माता का तीसरा हाथ अभय मुद्रा में तो चौथा हाथ वर मुद्रा में रहता है।

ऐसे करें मां महागौरी की पूजा

1. नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा एवं व्रत को करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान करने के बाद देवी के व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें।

2. इसके बाद घर के ईशान कोण में सफेद कपड़ा बिछाकर मां महागौरी की फोटो या मूर्ति रखें और उसके बाद उनका रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, फल, धूप, दीप, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करके भोग लगाएं।

3. नवरात्रि की अष्टमी का पुण्यफल पाने के लिए मां महागौरी की पूजा में गाय के दूध से बनी खीर जरूर चढ़ाएं।

4. इसके बाद मां महागौरी के मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ महागौरी देव्यै नमः’ मंत्र का श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।

5. पूजा के अंत में देवी की शुद्ध घी से बने दीया से आरती करें। इसके बाद सभी को प्रसाद बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें।

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