कराची: पाकिस्तान में चर्च में जगह नहीं मिली तो ट्रांसजेंडर ने अपना ही चर्च शुरू किया। ‘फर्स्ट चर्च ऑफ यूनक(किन्नर)’ नामक गिरजाघर केवल ट्रांसजेडर ईसाइयों के लिए है। कराची में अभी करीब दो हज़ार ईसाई ट्रांसजेंडर रहते हैं। गजाला शफीक पाकिस्तान की पहली महिला पादरी हैं जिन्होंने ट्रांसजेंडर के लिए चर्च शुरू किया। गजाला शफीक चर्च की सह संस्थापक भी हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी बात रखने के लिये यह नाम चुना। बाइबल के अंशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि किन्नरों पर ईश्वर की कृपा होती है। सभी धर्मों की ट्रांसजेंडर महिलाओं और पुरुषों को रुढ़िवादी पाकिस्तान में अक्सर सार्वजनिक रूप अपमान, यहां तक की हिंसा का सामना करना पड़ता है।
मालूम हो कि‘किन्नर’ शब्द दक्षिणी एशिया में अक्सर महिला ट्रांसजेंडरों के लिए उपयोग किया जाता है और कुछ लोग इसे अपमानजनक मानते हैं। पाकिस्तान में ईसाई ट्रांसजेंडर लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार, उपहास और अपमान का सामना करना पड़ता है। समुदाय के लोगों का मानना है कि उनके लिये बनाये गये गिरिजाघर में अब उन्हें शांति और सांत्वना मिलेगी। दूसरे गिरजाघरों में सुनवाई नहीं होने पर वे अपनी समस्याएं यहां साझा कर सकते हैं। सरकार ने हालांकि उन्हें आधिकारिक तौर पर ‘थर्ड जेंडर’ के रूप में मान्यता दे दी है लेकिन अक्सर उनके परिवावाले उन्हें त्याग देते हैं जिसके बाद उन्हें भीख मांगकर, शादियों में नाच कर अपना गुजारा करना पड़ता है। उनको अक्सर यौन शोषण का सामना करना पड़ा है और अंतत: वे यौनकर्मी बन जाते हैं।