नयी दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का बुधवार 14वां दिन है। इस बीच सरकार ने कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव किसानों को भेजा है। किसानों को भेजे गये प्रस्ताव के बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि किसानों को डरने की जरूरत नहीं है। एपीएमसी भी रहेगा और एमएसपी भी रहेगी। किसानों को दूसरी सुविधा भी मिलेगी। जहां पर ज्यादा दाम मिलेगा, किसान वहां अपनी उपज बेच सकेंगे। किसान नेताओं के मुताबिक इन 5 संशोधन पर सरकार का मसौदा तैयार है:-एमएसपी खत्म नहीं होगी व सरकार एमएसपी को जारी रखेगी। मंडी कानून पहले की तरह बरकरार रहेगा। प्राइवेट प्लेयर्स को रजिस्ट्रेशन का हक मिलेगा। कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में अब किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार रहेगा। प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स लगेगा। इसके पूर्व किसानों आंदोलन के बीच बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें कृषि कानूनों में बदलाव के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गयी।
इस बीच बुधवार को सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने के बाद किसान संगठनों की बैठक हुई। पंजाब के 32 किसान संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक की। बैठक के बाद ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह बगू ने कहा कि सरकार की तरफ से मिले प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं। इस पर अभी हमारी बैठक हुई है। आगे अभी हरियाणा के साथ के साथ बैठक है, जिसमें हम आगे के कदम का विचार करेंगे। किसानों की मांगों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात पर बगू ने कहा कि किसानों को थकाने के मकसद से इस मामले को लटकाना और टालते रहना सही नहीं है। केंद्र सरकार की तरफ से पॉजिटिव रिस्पांस नहीं दिख रहा है। राष्ट्रपति से जो पार्टियां मिलने जा रही हैं, वह अच्छी बात है।
भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत का कहना है कि कृषि कानून का मसला किसानों की शान से जुड़ा है,, ऐसे में वो इससे पीछे नहीं हटेंगे। सरकार कानून में कुछ बदलाव सुझा रही है, लेकिन हमारी मांग कानून को वापस लेने की है। राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो हम भी अड़े हैं, कानून वापस ही होगा।
किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। साथ ही आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। किसान नेताओं ने कहा कि जियो के जितने में प्रोडक्ट्स और मॉल हैं, उनका बहिष्कार करेंगे। पूरे देश में प्रदर्शन जारी रहेंगे। 14 दिसंबर को धरना देंगे। जयपुर और दिल्ली हाईवे को 12 तारीख तक रोक देंगे। आडानी और अंबानी के टोल प्लाज। भाजपा के नेताओं का घेराव करेंगे। किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए। यह हमारी मांग है। प्रस्ताव में सिर्फ संशोधन की बात है तो फिर हम उसे खारिज कर देंगे।
मालूम हो कि 20 राजनीतिक दल किसानों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने मंगलवार को किसानों के भारत बंद में भी हिस्सा लिया था। विपक्ष के 5 नेता आज बुधवार की शाम 5 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे। इनमें राहुल गांधी और शरद पवार भी शामिल होंगे।
इसके पूर्व आंदोलन कर रहे किसान नेताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच मंगलवार देर रात तक चली बैठक बेनतीजा रही। बैठक के बाहर आकर अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मुला ने कहा कि सरकार कृषि कानून वापस लेने को तैयार नहीं है इसलिए बुधवार को विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच कोई बैठक नहीं होगी। सरकार दो लिखित प्रस्ताव देने वाली है, उस पर विचार किया जायेगा।