अगले साल तक 15 साल हो जाएंगी काफी बसें
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाताः बड़े पैमाने पर महानगर में 14 साल पुरानी बसें भी यात्रियों को परिसेवा दे रही हैं। सरकारी नियमों के मुताबिक एक साल के अंदर उनकी मियाद खत्म होने वाली है। ऐसे में इसके बाद ही अगले साल से शहर की सड़कों से 2 हजार निजी बसें और मिनी बसें गायब हो जाएंगी। इसकी वजह है कि उनका 15 साल की अवधि पूरी हो जाएगी। कुछ बस मालिकों के बीच यह सवाल उठने लगा है कि क्या इसकी जगह नई बसों को उतारा जाएगा। कोरोना वायरस महामारी के चलते प्राइवेट पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत पहले से ही खराब है। बस में यात्रियों की संख्या में 30 फीसदी की कमी आई है। इसलिए बसों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। ऐसे में अगर 15 साल पुराने कॉमर्शियल व्हीकल कैंसिलेशन नियम में एक साल बाद बसों की संख्या 2,000 कम कर दी जाए तो सड़कों पर बसों की कमी हो जाएगी। इससे यात्रियों को परेशानी होनी निश्चित नजर आ रही है।
शहर में सामान्य घंटों के दौरान करीब 4 हजार बसें महानगर में चलती हैं। अब कोरोना की स्थिति में यह घटकर लगभग आधी रह गई हैं। नतीजतन, अगर वे बैठ जाएं तो समस्या बढ़ जाएगी। सिटी सबर्बन बस सर्विसेज के महासचिव टीटू साहा ने कहा कि जो नई बस उतरेगी, पैसा कहां से आएगा, यह एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में हमने राज्य सरकार से नई बसों को उतारने में मदद की गुहार लगाई है। दरअसल अदालत ने पर्यावरण विभाग के एक निर्देश के आधार पर 2008 में कोलकाता महानगरीय क्षेत्र में 15 साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। इसी तरह, केएमडीए क्षेत्र में पंजीकृत सभी वाहन 15 वर्ष की आयु तक पहुंचते ही सरकारी रजिस्टर में रद्द कर दिए जाते हैं। इसलिए 2008 में बहुत सारी पुरानी बसें रद्द कर दी गईं थीं।
ऑल बंगाल बस मिनीबस समन्वय समिति के महासचिव राहुल चटर्जी ने कहा कि हमने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम व परिवहन सचिव राजेश सिन्हा को पत्र लिखा है। हमने अपील की है कि 15 साल पुरानी बसों के रद्द होने के बाद सरकार हमें नई बसों को खरीदने में मदद करे। ऐसा नहीं होने पर नई बस उतारना संभव नहीं हो सकेगा।”
2 हजार बसों की मियाद हो रही खत्म, यात्रियों की बढ़ सकती है परेशानी
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