हिन्दी में पीएचडी की मांग में उछाल, पर विश्वविद्यालयों में सीमित हैं सीटें

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सबिता राय 
कोलकाता : हिन्दी के प्रति रुझान या मांग हमेशा ही देखी गयी है। दिन – प्रतिदिन इसकी मांग और ज्यादा बढ़ती जा रही है। देखा गया है कि वर्तमान समय में विद्यार्थियों में हिंदी में पीएचडी करने के रुझान में और उछाल आ रहा है। एक – एक विश्वविद्यालयों में सैकड़ों आवेदन आते हैं लेकिन चुनिंदा सीटें होने के कारण सभी को मौका दे पाना संभव नहीं हो पाता है। एक हिन्दी के प्रोफेसर के मुताबिक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए जो मानक निर्धारित किये गये हैं, वह पीएचडी धारकों को लाभ पहुंचाते हैं। यह भी एक अहम वजह है कि पीएचडी करने की मांग बढ़ती नजर आ रही है।
सीयू में आये सैकड़ों आवेदन
सीयू की डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. देबारती दास ने बताया कि सीयू में हिन्दी पीएचडी के लिए 2022 में 16 सीटें हैं जब​कि अभी तक 100 से अधिक आवेदन आ चुके हैं। ऐसे में साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिन्दी में पीएचडी में मांग काफी ज्यादा बढ़ रही है। कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला ने कहा कि पीएचडी करने के साथ नेट/सेट की परीक्षा उत्तीर्ण कर विद्यार्थी कॉलेज में प्रोफेसर की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा अनुसंधान प्रवेश परीक्षा (आरईटी) के आधार पर आयोजित की जाती है। इस बार इंटरव्यू लेने के बाद सोलह लोगों को कलकत्ता विश्वविद्यालय में हिंदी में पीएचडी करने का मौका मिलेगा। जल्द इंटरव्यू की तारीख की घोषणा की जाएगी। वर्तमान समय में विद्यार्थियों में कलकत्ता विश्वविद्यालय से हिंदी में पीएचडी करने के रुझान में कोई कमी नहीं आयी है।
बर्दवान विश्वविद्यालय में पीएचडी में हुआ दाखिला
बर्दवान विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रूपा गुप्ता ने कहा कि हमेशा से ही हिन्दी में पीएचडी के लिए मांग आती रही है। हाल में ही 2022 से करीब 6 – 7 विद्यार्थियों का हिन्दी में पीएचडी के लिए ले लिया गया है। यहां 6 – 7 सीटें हैं।
ऐसे हो जाती हैं सीटें सीमित
प्रोफेसर रूपा गुप्ता ने बताया कि यूजीसी ने पिछले कुछ वर्षों में इस प्रकार नियम किये हैं। प्रोफेसर एक समय में 8 विद्यार्थी को पीएचडी करवा सकते हैं। एसोसिएट प्रोफेसर के अंडर में केवल 6 रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं यानी 6 स्टूडेंट्स। असिस्टेंट प्रोफेसर केवल 4 स्टूडेंट्स को पीएचडी करवा सकते हैं। पीएचडी करने में 5 – 6 साल लगते हैं। अगर काेई स्टूडेंट रिरजिस्ट्रेशन मांगे तो यह अवधि 12 साल तक हो जाती है। ऐसे में अगर एक स्टूटेंड एक सीट को 12 साल तक घेरे रखता है तो जो कतार में खड़े हैं उन्हें प्रतीक्षा करनी पड़ती है। तो यूं कहें कि कुछ वैधानिक दिक्कतें भी हैं।
कहां – कहां होती है हिन्दी में पीएचडी
कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, बर्दवान विश्वविद्यालय, नार्थ बंगाल विश्वविद्यालय, विद्यासागर विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय, विश्वभारती विश्वविद्यालय, वेस्ट बंगाल स्टेट यूनिवर्सिटी बारासात, काजी नजरूल विश्वविद्यालय (अन्य विश्वविद्यालयों में भी)।
क्या कहते हैं हिन्दी के प्रोफेसर
विद्यासागर विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग के सहायक प्रोफेसर संजय जायसवाल ने कहा कि हिन्दी में पीएचडी करने वालों की मांग पिछले कुछ समय में और ज्यादा बढ़ी है। यूजीसी ने पीएचडी को प्राथमिकता दी है यानी पीएचडी की डिग्री लेकर सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकते हैं।
क्या कहना है हिन्दी विश्वविद्यालय के वीसी का
राज्य का प्रथम हिन्दी विश्वविद्यालय हावड़ा में है। हिन्दी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. दामोदर मिश्रा ने बताया कि फुलटाइम पोस्ट आयेगा तभी यहां पीएचडी संभव होगा। उम्मीद करते हैं कि जल्द ही पीएचडी भी शुरू किया जा सके।

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