स्टॉल से लेकर पार्टी कार्यालय तक बन गये फुटपाथाें पर
लोग फुटपाथ के बजाय करते हैं सड़क का इस्तेमाल
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता के फुटपाथाें पर चलने को जगह मिल जाये तो समझिये बड़ी बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि महानगर के लगभग किसी भी फुटपाथ पर चलने की जगह नहीं बची है। फुटपाथों पर कहीं स्टॉल लगा दिये गये हैं तो कहीं पार्टी कार्यालय तक बना दिये गये हैं। इतना ही नहीं कई स्थानों पर तो हालत ऐसी है कि फुटपाथों के पास भी नहीं चल सकते क्योंकि गाड़ियों की पार्किंग की हुई रहती है। ऐसे में लोगों को मजबूरन जान हथेली पर रखकर सड़क से आना-जाना करना पड़ रहा है। सन्मार्ग की टीम ने कोलकाता के कई स्थानों का दौरा किया जहां फुटपाथों की हालत कुछ यूं देखने को मिली।
सेंट्रल एवेन्यू : यहां फुटपाथ तो है, लेकिन चलने की जगह नहीं बची है। इसका कारण है कि लोगों ने यहां वैन रिक्श रख दिये हैं। इससे फुटपाथ का रास्ता पूरी तरह ब्लॉक हो गया है और लोगों को मजबूरन सड़क से जाना पड़ता है।
कैमेक स्ट्रीट : कैमेक स्ट्रीट में फुटपाथ पर ही एक के बाद एक स्टाॅल बना दिये गये हैं। इस कारण दोनों ओर से लोगों को आने-जाने की जगह नहीं मिल पाती है। ऐसे में लोग सड़क से होकर ही गुजरते हैं। यहां काम करने वाले राजू शाह ने कहा कि फुटपाथ पर स्टॉल होने के कारण ग्राहकों की काफी भीड़ भी रहती है। इस कारण फुटपाथ से आना-जाना संभव नहीं हो पाता है।
बेलगछिया : उत्तर कोलकाता के बेलगछिया में फुटपाथों की हालत काफी दयनीय है। ना केवल स्टॉल बल्कि यहां पार्टी कार्यालय तक बन गये हैं। इस कारण फुटपाथ पर तो जगह नहीं ही बची है और ना ही फुटपाथ के पास से ही गुजरने की जगह बची है। सड़क अधिक चौड़ी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद फुटपाथ के किनारे ही गाड़ियों की पार्किंग कर दी गयी है। ऐसे में लोगों को जान हथेली पर लेकर सड़क से आना-जाना करना पड़ता है। इससे सड़क दुर्घटना का खतरा बना रहता है। यहां एक व्यक्ति ऋद्धिमान साहा ने बताया कि फुटपाथ पर रत्ती भर भी चलने की जगह नहीं रहती जिस कारण बीच सड़क से आना-जाना करना पड़ता है। सीमा सिंह नामक महिला ने कहा, ‘बालीगंज से हिन्दुस्तान पार्क तक बगैर सड़क का इस्तेमाल किये चलकर नहीं जाया जा सकता है। कुछ ऐसी ही हालत एस्पलानेड और हातीबागान की भी है।’
फुटपाथ तो हैं, लेकिन राहगीरों के लिए नहीं
कोलकाता में फुटपाथ तो हैं, लेकिन राहगीरों के लिए नहीं है। अधिकतर फुटपाथों पर हॉकरों ने कब्जा जमा लिया है। माकपा अथवा तृणमूल किसी के भी शासन काल में ये बात लागू नहीं की गयी कि फुटपाथों का दो तिहाई हिस्सा राहगीरों के लिए खाली रखा जायेगा। कोलकाता नगर निगम यानी केएमसी ही फुटपाथों की कस्टोडियन होती है। हालांकि केएमसी द्वारा अब भी हॉकर नीति बनायी जानी बाकी है। कई हॉकरों का यह भी आरोप होता है कि पुलिस, नेता और केएमसी के कई कर्मचारियों द्वारा फुटपाथ पर कब्जा करने के लिए रुपये लिये जाते हैं।
कब्जा मुक्त फुटपाथों पर भी चलना संभव नहीं
कई स्थान ऐसे हैं जहां फुटपाथों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद चलना संभव नहीं है। हरीश मुखर्जी रोड, क्वीन्स वे, मदन स्ट्रीट, प्रिंस अनवर शाह रोड, बसंत बोस रोड समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां फुटपाथों पर कब्जा ना होने के बावजूद यहां से राहगीर नहीं चल पाते। या तो फुटपाथ टूटे – फूटे हैं या फिर मिट्टी और कीचड़ वाले हैं जिस कारण इन फुटपाथों से चलना संभव नहीं हो पाता।
कोलकाता में नहीं बची फुटपाथ पर चलने की जगह
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