
कोलकाताः पश्चिम बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए सबसे बड़ा नारा बन चुका है ‘खेला होबे’। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने इसे हिंसा और डर फैलाने की कोशिश बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की है तो दूसरी तरफ बंगाल में हर चुनावी भाषण में इसका जिक्र जरूर हो रहा है। इंटरनेट पर भी जमकर वायरल है। इसका डीजे वर्जन तो पश्चिम बंगाल में शादियों में भी बज रहा है। हालांकि, ‘खेला होबे’ गीत लिखने वाले युवा नेता और पार्टी प्रवक्ता देबांगशु को पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को जब 291 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो देबांगशु का नाम इसमें नहीं था।
My dear friend, The game is ON! #KhelaHobe pic.twitter.com/TmzsWDedk9
— Debangshu Bhattacharya Dev (@ItsYourDev) March 2, 2021
टीएमसी के युवा वोटर्स में बेहद लोकप्रिय हो चुके ‘खेला होबे’ गीत को 25 साल के सिविल इंजीनियर और टीएमसी के युवा नेता देबांगशु भट्टाचार्ज ने लिखा है। खुद ममता बनर्जी ने इसका इस्तेमाल शुरू किया तो बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं ने भी ‘खेला होबे’ के जरिए ही ममता को जवाब दिया। ‘खेला होबे’ गीत की लोकप्रियात बढ़ने के साथ ही यह चर्चा होने लगी थी कि देबांगशु को पार्टी हावड़ा से टिकट दे सकती है।
एक वीडियो क्रिएटर के रूप में शुरुआत करने वाले देबांगशु खुद को ममता बनर्जी का कट्टर प्रशंसक बताते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने इस गाने के बोल को टीएमसी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए लिखा है। गाने में ममता बनर्जी सरकार की योजनाओं ‘कन्याश्री’ और ‘स्वास्थ्य साथी’ जैसी योजनाओं को जिक्र किया गया है तो बीजेपी नेताओं को बाहरी बताया गया है। इंटरनेट पर इसके कई डीजे वर्जन आ चुके हैं और सभी वीडियो को लाखों व्यूज मिले हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 291 सीटों के लिए तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची शुक्रवार को जारी की। टिकटों के बंटवारे में युवाओं, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और पिछड़े समुदायों पर जोर दिया गया है। तृणमूल कांग्रेस के एक सहयोगी दल गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बिमल गुरुंग गुट के तीन उम्मीदवार दार्जिलिंग की शेष तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
बनर्जी ने कहा, ”इस बार हमने अधिक युवाओं और महिला उम्मीदवारों पर जोर दिया है। इसके अलावा 23 से 24 मौजूदा विधायकों को इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया है और सूची में लगभग 50 महिलाओं, 42 मुस्लिमों, 79 अनुसूचित जाति (एससी) और 17 अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के नाम हैं।” लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का दावा करते हुए बनर्जी ने इसे सबसे आसान चुनाव करार दिया।