
हावड़ा : 5 साल पहले बाली नगरपालिका को हावड़ा नगर निगम में मिला दिया गया था। इसके बाद लगातार बाली के लोग विरोध करने लगे, इसे लेकर हावड़ा की डीएम के पास भी कई बार शिकायतें आयीं। परंतु कोई असर नहीं पड़ा। अब एक बार फिर उसे अलग किया जा रहा है। इसे आम लोग पचा नहीं पा रहे हैं। कुछ लोग बाली नपा को हावड़ा निगम से अलग करना भी राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं। कोई इसे चुनावी हथकंडा कह रहा है, तो कोई वोटर को बढ़ाने की राजनीति। हालांकि कुछ लोगों ने इसे लेकर धन्यवाद ज्ञापन दिया है। वहीं बाली को अलग करने के निर्णय को लेकर बाली नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन अरूनाभ लाहिड़ी ने भी स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से बाली का निवासी होकर काफी खुश हूं। निगम में मिलने के बाद बाली के लोगों के कोई काम नहीं हुए। वहीं पीके की टीम की मदद से तृणमूल ने सर्वे किया तो यह जानकारी मिली कि बाली नपा को मिलाने से लोगों में रोष उत्पन्न हुआ था। इसका प्रभाव लोकसभा चुनाव पर पड़ा था। भाजपा का दावा है कि तृणमूल निश्चिंदा व अभयनगर के कुछ अंश मिलाकर हावड़ा नगर निगम में 120 वार्ड करना चाहती थी, लेकिन भाजपा ने मामला दर्ज कर उन्हें रोक दिया। भाजपाईयों का कहना है कि नगर निगम के चुनाव करीब आनेवाले हैं, ऐसे में अपना वोटर और मजबूत करने के लिए यह राजनीति की जा रही है। वहीं तृणमूल कर्मियों का कहना है कि बाली नपा को अलग रखने में ही लाभ है।