
चीफ जस्टिस के डिविजन बेंच का एफिडेविट दाखिल करने का आदेश
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज के डिविजन बेंच में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करके आरोप लगाया गया है कि 2014 के टेट में फेल आवेदकों को टीचर के पद नियुक्ति दी जा रही है। इसमें कहा गया है कि अप्रैल में भी नियुक्तियां की गई हैं। एडवोकेट जनरल ने इस पीआईएल की ग्रहणयोग्यता पर सवाल उठाते हुए इसका तीखा विरोध किया। बहरहाल डिविजन बेंच ने सरकार और पिटिशनरों को एफिडेविट व जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
एडवोकेट तरुण ज्योति तिवारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि तापस घोष ने यह पीआईएल दायर की है। प्राइमरी स्कूलों में टीचर पद पर नियुक्ति के लिए 2014 में टेट का आयोजन किया गया था और 2017 में इसकी नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त हो गई थी। इसके बावजूद इस साल अप्रैल में 738 नियुक्तियां की गई हैं। इन नियुक्तियों के लिए 2017 से अभी तक छह बार विज्ञप्तियां जारी की जा चुकी हैं। इसके जवाब में एजी एस एन मुखर्जी ने कहा कि यह अलग नियुक्तियां हैं और इनका टेट से कोई लेनादेना नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पांच साल बाद इस बाबत कोई पीआईएल दायर नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही उनका दावा था कि 2020 में इस बाबत मामला दायर किया गया था जो सुप्रीम कोर्ट तक जाने के बाद खारिज हो गया था। इसके जवाब में एडवोकेट तिवारी ने सप्लिमेंटरी एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति मांगी तो एजी ने इसका तीखा विरोध किया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट का केस नंबर देने का प्रयास किया गया तो भी एजी ने एतराज जताया। बहरहाल डिविजन बेंच ने इसकी इजाजत दे दी। इस मामले में पार्टी के रूप में एड किये जाने की अपील करते हुए एडवोकेट जयंत नारायण चटर्जी ने पल्लवी मन्ना का सवाल उठाया। टेट में फेल होने के बावजूद वह 2017 में मधुसूदनपुर प्राथमिक विद्यालय में टीचर नियुक्त कर दी गई। इस बाबत त्रिदीव बाग ने पिटिशन दायर किया है। डिविजन बेंच ने उसे पार्टी के रूप में एड कर लिया। डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि एजी की अपील के अनुसार पहले इस पीआईएल की ग्रहणयोग्यता पर विचार किया जाएगा। राज्य सरकार को एफिडेविट और पिटिशनर को इसका जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसकी अगली सुनवायी 21 जून को होगी।