- नयी स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी से फॉरेन मेडिकल डॉक्टरों की अपील
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राज्य के फारेन मेडिकल डॉक्टरों ने सोमवार को अपील की है कि उन्हें भी इस कोरोना पैंडमिक में मरीजों की सेवा का मौका दिया जाए। इन डॉक्टरों ने केन्द्र सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए अपील है कि है कि केन्द्र सरकार इन सभी डॉक्टरों के साथ सौतेला र्व्यवहार कर रही है। इस कठीन समय में इनका एक मात्र भरोसा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हैं। उल्लेखनीय है कि कोरोना के दूसरे लहर ने पूरे देश की स्वास्थ्य परिसेवाओं की पोल खोल कर रख दी है। बंगाल भी इससे अछूता नहीं है लेकिन तृणमूल की तीसरी सरकार के सत्ता में आने के बाद अब लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही बंगाल में कोरोना पर काबू पा लिया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कई असाधारण पहल की भी सराहना हो रही है जिनमें तृणमूल की जीत के बाद ही उनके द्वारा अस्पतालों में जाकर निरीक्षण करना व बेड आदि बढ़ाने के कदम की खूब वाहवाही हो रही है। ऐसे में इन डॉक्टरों ने अपील की है कि जल्द से जल्द उन्हें भी कोविड वारियर बनने का मौका दिया जाए।
‘केन्द्र सरकार हमारे साथ कर रही है पक्षपात’
इस बारे में पश्चिम मिदनापुर की रहने वाली डॉक्टर सुमन ने सोशल मीडिया के जरिये कहा है कि ममता दीदी अगर हमें पश्चिम बंगाल की नयी सरकार की अनुमति देती है तो मेरे अलावा बंगाल में रह रहे 5000 से अधिक फॉरेन मेडिकल्स अस्पतालों में अपनी सेवा देने को तैयार है। यही नहीं अन्य राज्यों के 25000 डॉक्टर भी यहां आकर काम कर सकेंगे। वहीं डॉक्टर प्रवीण यादव ने बताया कि देश में झोला छाप डॉक्टरों को एमबीबीएस पढ़ाई करने वालों को अनुमति मिल रहा है लेकिन हमें जो कि मेडिकल ग्रेजुएट है अपना 5 साल विदेशों में रहकर पढ़ाई किये हैं, केन्द्र सरकार हमें मौका नहीं दे रहीं। हम 50 हजार डॉक्टर बेकार घर बैठने को मजबूर हैं। हमारा सुध लेने वाला कोई नहीं। अगर उन्हें पर्मानेट रजिस्ट्रेशन नम्बर मिल जाए तो वे एक साल तक फ्री में राज्य सरकार को अपनी सेवाएं देने को तैयार है। वहीं डॉक्टर मोहित शर्मा ने कहा है कि कोविड समय में हम अपनी सेवाएं देना चाहते हैं, आप भले ही एक साल बाद ही हमें हमारा रेजिस्ट्रेशन नम्बर दे दें लेकिन हमारी नियुक्ति कर लें। उल्लेखनीय हैं कि लगातार अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे हैं लेकिन उस स्तर पर डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है। ऐसे में इन डॉक्टरों को एक आशा की किरण दिखाई दे रही है।
‘झोलाछाप डॉक्टरों को अनुमति दे दी गयी लेकिन हमें नहीं’
इसके अलावा डॉ. किशोर व डॉक्टर विक्की ने भी यह अपील की है। डॉक्टर सम्स, डॉक्टर कार्तिक, डॉक्टर शुभम श्रीवास्तव व डॉ. मुरली नायडू ने भी कहा है बंगाल पूरे देश को राह दिखाता है, अगर हमें यहां काम करने का मौका मिलता है तो केन्द्र सरकार बाध्य होकर हमें हमारा हक दे देगी। वहीं डॉक्टर सुनील सिंह व डॉ. सुरेश बाबू, डॉ. दिनेशपॉल सिंह, अरिहंत जैन, डॉ. शेख ने कहा है कि एमबीबीएस की पढ़ाई करने वालों को भी यह अधिकार दे दिया गया है कि वे मरीजों का इलाज कर सकते हैं लेकिन हमें इससे अलग रखा गया है, यह पक्षपात नहीं तो और क्या है। दृष्टि ललकिया व साहिन अख्तर ने कहा कि हमारे राज्य में पहले से ही डॉक्टरों की की है और दिन प्रतिदिन लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं। बंगाल में लगभग 5 हजार डॉक्टरों की टीम है जो कि रेजिस्ट्रेशन का इंतजार कर रही है। कम से कम टेम्पोररी रेजिस्ट्रेशन ही तो सरकार दे दें, बाद में काम को देखते हुए पर्मानेंट रजिस्ट्रेशन दे दे। सरकार हमें जनरल वार्ड में काम दे सकती है। हमें ग्रामीण इलाकों में भेज सकती है। डॉ. ब्रम्हनायडू ने कहा कि हम अभी बेहद खराब परिस्थिति से गुजर रहे हैं लकि एक डॉक्टर होने के नाते हम अपनी ड्यटी नहीं कर पा रहे हैं। अगर विदेशों के डॉक्टरों को रखा नहीं जा सकता तो फिर हमें विदेशों में पढ़ने जाने के लिए सरकार अनुमति ही क्यों देती है।