
कोलकाता : प्रदूषण के मामले में खतरे के रडार पर आयी कोलकाता की हवा को जहरीला बनाने में मुख्य कारक कोयला है। कोलकाता की सड़कों पर बैठने वाले फूड वेंडर और आयरन करने वाले अगर चूल्हा जलाते है’ तो अब उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसकी जानकारी पीसीबी के मेंबर सेक्रेटरी डॉ. राजेश कुमार ने दी तथा बताया कि वेंडरों को चूल्हे की जगह गैस-सिलेंडर दिया जाएगा। इसके लिए एक निजी संस्था के साथ बातचीत भी की जा रही है। विधाननगर में कई जगहों पर इसकी शुरूआत भी कर दी गयी है। जल्द कोलकाता नगर निगम इलाके में भी इसे चालू किया जाएगा।
करीब 1 लाख आयरन करने वाले चलाते हैं अपनी जीविका
पीसीबी के चेयरमैन कल्याण रुद्र ने बताया कि कोलकाता व आसपास के इलाके जैसे हावड़ा, हुगली में करीब 1 लाख लोग अपनी जीविका चलाने के लिए कोयला जलाते हैं। इन जले हुए कोयले की आंच से जो धुआं उठता है वह हवाओं मे जाकर मिलता है जो श्वांस के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश करता है। चूंकि कोयले का धुआं जहरीला होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।
पीएम 10 और पीएम 2.5 से बढ़ता है प्रदूषण
पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ने की मुख्य दो वजहें मानी जाती हैं, पीएम 10 और पीएम 2.5। कोलकाता की बात करें तो यहां पीएम 10 की तुलना में पीएम 2.5 अधिक पाया जाता है जबकि दिल्ली में स्थिति विपरीत है। पीएम 10 की वजह धूल मानी जाती है। वहीं पीएम 2.5 के लिए धुआं मुख्य कारण होता है जिसकी वजह पेट्रोल-डीजल, अंगीठी और कोयले का जलना होता है।
कोयले की जगह दिया जाएगा बिजली या गैस कनेक्शन
विभागीय अधिकारी ने बताया कि पर्यावरण विभाग और कोलकाता नगर निगम एक साथ मिलकर एक तालिका तैयार कर रहा है जिसमें समस्त कोयला इस्तेमाल करने वाले स्ट्रीट वेंडर अथवा आयरन करने वालों को बिजली या गैस का कनेक्शन दिया जाएगा ताकि प्रदूषण की मात्रा बढ़ने पर विराम लगाया जा सके। यह योजना सर्दी से पहले पूरी करने का टार्गेट रखा गया है।