हावड़ा के बालटिकुरी दे उच्च विद्यालय का मामला
हाई कोर्ट ने तलब किया था टीचर इंचार्ज को
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय यह जान कर हैरान रह गए कि एक ऐसा भी स्कूल है जहां पिछले ग्यारह साल से कोई हेडमास्टर नहीं है। एक गैर शिक्षक कर्मचारी को सेवा निवृत्ति के बाद बकाया भुगतान नहीं किए जाने के बाबत दायर रिट की वे वृहस्पतिवार को सुनवायी कर रहे थे। जस्टिस गंगोपाध्याय ने स्कूल सर्विस कमिशन से इस बाबत रिपोर्ट तलब किया है। इसके साथ ही यह भी जानना चाहा है कि इस विद्यालय में गैरशिक्षक कर्मचारी क्यों नहीं हैं।
एडवोकेट मयुरी घोष ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला हावड़ा के बालटिकुरी दे उच्च विद्यालय का है। शांतनु घोष यहां गैरशिक्षक कर्मचारी थे और 2020 की जनवरी में सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके बावजूद उन्हें पीएफ तक का भुगतान नहीं किया गया है। अनुनय विनय करने के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी।
एडवोकेट घोष बताती हैं कि 28 जनवरी को जस्टिस एस बी सराफ ने आदेश दिया था कि सारा भुगतान तत्काल कर दिया जाए। पर नहीं किया गया। डेटरमिनेशन बदले जाने के बाद यह मामला जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के कोर्ट में आया। जस्टिस गंगोपाध्याय ने इस स्कूल के टीचर इंचार्ज दिव्येंदु मुखर्जी को व्यक्तिगत रूप से वृहस्पतिवार को कोर्ट में तलब किया था। उन्होंने हावड़ा के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया था कि टीचर इंचार्ज को 16 सितंबर को उनके कोर्ट में पेश किया जाए। जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया कि शांतनु घोष शुक्रवार को स्कूल में जाएंगे और जरूरी कागजों पर दस्तखत करेंगे। इसके बाद उनके बकाये का भुगतान 24 सितंबर के अंदर करना पड़ेगा। एडवोकेट मयुरी घोष ने कहा कि नियम के मुताबिक सेवानिवृत्ति से एक माह पहले पेंशन की औपचारिकता पूरी करनी पड़ती है, ताकि सेवानिवृत्ति के अगले माह से पेंशन मिलने लगे। टीचर इंचार्ज ने अपनी लाचारगी जताते हुए कोर्ट को बताया कि पिछले ग्यारह साल से इस स्कूल में कोई हेडमास्टर नहीं नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही शांतनु घोष के सेवानिवृत्त होने के बाद कोई गैरशिक्षक कर्मचारी भी नहीं रह गया है। जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया है कि स्कूल सर्विस कमिशन को यह जानकारी भी देनी पड़ेगी कि स्कूल की मैनेजिंग कमेटी ने कितनी बार इस बाबत अनुरोध किया था। इसका जवाब एसएससी को 15 अक्टूबर को देना पड़ेगा।
एक ऐसा भी स्कूल जहां 11 साल से कोई हेडमास्टर नहीं
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