
मंत्री ने कहा महिला श्रमिकों को भी मिलेगा रोजगार, दूसरे राज्यों में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या : करीब 9 लाख
कोलकाता : कोरोना के कारण जिन श्रमिकों की रोटी छीन गई है, उन्हें रोजगार का जरिया अब राज्य सरकार देने जा रही हैं। हम यहां बात कर रहे हैं दूसरे राज्यों से घर वापसी करने वाले उन बेसहारा श्रमिकों की जो कहने को तो बंगाल के हैं मगर कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जाते रहे हैं। अब इनका पूरा ठिकाना अपना राज्य होगा, जिसकी तैयारी के लिए राज्य का पंचायत विभाग कुछ खास योजनाएं बना रहा है। इस बारे में विभागीय मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने बताया कि लौटने वाले श्रमिकों में महिलाओं को भी रोजगार देने की योजना है। एक बार कोरोना का संकट धीमा पड़ जाए उसके बाद ही इन्हें काम देना शुरू कर दिया जाएगा।
मनरेगा पर होगा अधिक फोकस
मंत्री ने बताया कि यहां वापस लौटने वाले ज्यादातर श्रमिकों को एक सौ दिन रोजगार योजना में लगाने की हमारी योजना है। ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को इसी के अंतर्गत काम दिया जाएगा। इसके अलावा बाकी श्रमिकों को भी उनके अनुसार कुछ ना कुछ योजनाओं से युक्त किया जाएगा।
कड़कनाथ देंगे कईयों को जीविका
इन योजनाओं में एक योजना पोल्ट्री की भी है जिसके तहत प्रत्येक परिवार को 10-10 कड़कनाथ मुर्गे दिए जाएंगे, उसके अलावा बाकी मुर्गिया भी होंगी जिससे पोल्ट्री के जरिए किसानों का घर चलेगा।
किचन गार्डन
श्रमिकों को उनके घरों में ही किचन गार्डन की सुविधा मुहैया कराई जाएगी, जहां वे साग सब्जी उगा सकें और उनकी जीविका चल सके। इसके लिए घर की दीवारों का भी इस्तेमाल किया जाएगा, जहां लौकी या बाकी लता धार सब्जियों को बोया जा सके।
छोटी जमीन की व्यवस्था
यह जमीन उस हिसाब में होगी जहां आलू, धान जैसे छोटी मात्रा में फसल तैयार किया जा सके।
हाइड्रॉपनिक स्कीम
इस्तेमाल की गई खराब पाइप में मिट्टी डाल कर उससे सब्जी उगाने की व्यवस्था की जायेगी।
मत्स्य पालन
घर के करीब अप्रकृतिक तालाब तैयार कर उसमें मछलियों को पालने की व्यवस्था की जायेगी।
योजनाओं का खर्च उठाएगी राज्य सरकार
मंत्री ने बताया कि चालू की जाने वाली प्रस्तावित सभी योजनाओं का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। जिन लोगों को मत्स्य पालन में लगाया जाएगा, उनके घर के आसपास अगर तालाब नहीं है, तो घर के करीब ही सीमेंट या प्लास्टिक की मदद से हॉज बनाकर उसमें मत्स्य पालन की व्यवस्था कराई जाएगी। इन योजनाओं को लेकर श्रमिकजितना चाहे उतनी योजनाओं पर काम कर सकते हैं।