Sanmarg Aparajita : जब दादी ने मेडल जीत लहराया तिरंगा तो झूम उठा भारत

भगवानी देवी डागर ने पोलैंड में जीते तीन स्वर्ण पदक, सन्मार्ग अपराजिता ने दिया पूरा सहयोग
तोरन (पोलैंड) :
यह सफर तब शुरू हुआ जब हमें पता चला कि नजफगढ़ की भगवानी देवी डागर 95 वर्ष की उम्र में दौड़ने का शौक रखती हैं। न केवल दौड़ में भाग लेती हैं, नेशनल-इंटरनेशनल मेडल जीतकर देश का नाम भी रोशन करती हैं। उनके इसी जज्बे को देखते हुए ‘सन्मार्ग अपराजिता’ की जूरी ने दादी भगवानी देवी डागर को ‘अपराजिता यू इंस्पायर-स्पोर्ट्स जूरी अवार्ड 2022’ से नवाजा। इसके बाद जब हमें पता चला कि वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इनडोर चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए दादी पोलैंड जाना चाहती हैं तो उनके पोलैंड दौरे की पूरी जिम्मेदारी अपराजिता ने उठाई। उन्हें दिल्ली बुलाकर पूरे जोश और जज्बे के साथ पोलैंड रवाना किया। पूरे देश के लिए गर्व का विषय है कि दादी ने पोलैंड में तीन स्वर्ण पदक जीतकर तिरंगा लहराया और देश का नाम ऊंचा किया। अपराजिता ने 11 वर्ष पूर्व जो सपना देखा था, जो संकल्प लिया था, वह दादी की जीत के साथ और मजबूत, और बड़ा हो गया है। अपराजिता ऐसा मंच है जो हर सपने देखने वाली महिला को उनको पूरा करने में साथ खड़ा होता है।

इसलिए अनूठी है दादी की कहानी

 


दिल्ली के नजफगढ़ की 95 वर्षीय दादी को शायद पता भी नहीं होगा कि दुनिया के नक्शे पर पोलैंड है कहां। न वह पढ़ना जानती हैं, न लिखना… पर इस विधवा ने सपना देखा, उसे पूरा करने 84 वर्ष की उम्र में उतर गईं ट्रैक पर… जमा देने वाले माइनस 7 डिग्री तापमान में वह ऐसी दौड़ीं कि विश्व चैंपियन बनीं और लहरा दिया तिरंगा। इसी सोच, इसी जज्बे, इसी जुनून का नाम तो है अपराजिता। जब हाथ की लकीरों से गहरी झुर्रियों वाली दादी कर सकती हैं तो भारत की हर नारी ऐसे ही परचम लहरा सकती है। कहावत है – ‘खुदी को कर बुलंद इतना, खुदा खुद बंदे से पूछे कि बता तेरी रजा क्या है…’, धूत प्रेजेंट्स सन्मार्ग अपराजिता पावर्ड बाय बीएमडी, टेक्नो एवं बंगाल एनर्जी इसी कहावत को मूर्त रूप दे रहा है… कुछ कर गुजरने की ठान लेने वाली हर नारी का मंच है अपराजिता। दादी ने भी इस मंच का अपनापन महसूस किया और पोलैंड में जीतने के बाद दादी ने ‘सन्मार्ग अपराजिता को दिल से धन्यवाद’ कहा है।

अपराजिता इस सफर को इतना सफल और यादगार बनाने के लिए अपने सभी प्रायोजकों का आभारी है और वादा है कि यह मंच इसी तरह भारत की नारी को आगे बढ़ाने के लिए जी-जान से जुटा रहेगा। इससे पहले ओलंपिक खेलने जापान गईं टेबल टेनिस खिलाड़ी सुतीर्था मुखर्जी, नेत्रहीन होकर भी खेल में कीर्तिमान रच रहीं रक्षिता राजू और तीरंदाज सुमन पूर्ति को भी अपराजिता ने अपने मंच के माध्यम से पुरस्कार और प्रोत्साहन दिया।
इन खेलों में जीते स्वर्ण पदक

दादी ने 60 मीटर दौड़, शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में सबको पीछे छोड़कर स्वर्ण पदक जीते। अब दादी का अगला लक्ष्य नवंबर, 2023 में फिलिपींस में होने वाली एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप जीतना है।
झूम उठा सोशल मीडिया
दादी की इस विश्व-विजय से सोशल मीडिया झूम उठा। देश के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित अनेक हस्तियों ने इस जीत पर नारी शक्ति को नमन किया।

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