सैमसन-संगकारा की जोड़ी पर लगाया बड़ा दांव, विदेशी खिलाड़ियों पर निर्भरता कमजोर पक्ष
नयी दिल्ली : 12 अप्रैल को पंजाब किंग्स के खिलाफ अपने पहले मैच में ढांचागत बदलाव के साथ उतर रही राजस्थान रॉयल्स की टीम नई विरासत तैयार करने के लक्ष्य के साथ उतरेगी। लेकिन कमजोर भारतीय दल और विदेशी खिलाड़ियों पर अधिक निर्भरता से पहले आईपीएल टूर्नामेंट के विजेता की आगामी आईपीएल में संभावनाओं को नुकसान हो सकता है। पिछले सत्र में अंतिम स्थान पर रहे रॉयल्स ने नये सत्र के लिए प्रबंधन और टीम दोनों में बदलाव किये हैं। टीम से रिलीज किये गये स्टीव स्मिथ की जगह संजू सैमसन को कप्तान बनाया गया है। ऐसे में सैमसन पर राजस्थान को खिताब दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। वहीं, कोच एंड्रयू मैकडोनाल्ड को बाहर करके श्रीलंका के पूर्व महान क्रिकेटर कुमार संगकारा को क्रिकेट निदेशक बनाया गया है। अब देखना यह होगा कि संगकारा-सैमसन पर लगाया गया दांव कितना कारगर होता है।
आक्रामक बल्लेबाजी मजबूत पक्ष
टीम के मजबूत पक्ष की बात करें तो उसके पास कई आक्रामक बल्लेबाज हैं। जोस बटलर और बेन स्टोक्स के रूप में टीम के पास दो मैच विजेता खिलाड़ी हैं जबकि सैमसन में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। टीम के पास दक्षिण अफ्रीका के डेविड मिलर और मौरिस के रूप में दो आक्रामक बल्लेबाज हैं। इंग्लैंड के टी-20 विशेषज्ञ लियाम लिविंगस्टोन भी मैच का रुख बदलने में सक्षम हैं। पिछले सत्र में शानदार प्रदर्शन करने वाले आलराउंडर राहुल तेवतिया ने बड़े शॉट खेलने की अपनी क्षमता दिखाई है।
घरेलू खिलाड़ियों में निरंतरता की कमी
टीम में हालांकि बड़े भारतीय खिलाड़ी नहीं है और घरेलू खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निरंतरता भी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में सैमसन ने बामुश्किल ही लगातार 5 मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया है। तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाये हैं जबकि मनन वोहरा ने कुछ मौकों पर ही प्रभावी प्रदर्शन किया है। ऐसे में टीम को रियान पराग, तेज गेंदबाज कार्तिक त्यागी और यशस्वी जायसवाल जैसे युवा खिलाड़ियों पर निर्भर होना पड़ रहा है। रॉयल्स ने कुछ खिलाड़ियों को भारी भरकम राशि में खरीदा है लेकिन स्टोक्स के अलावा अधिकतर खिलाड़ी उम्मीद पर खरे नहीं उतरे।