गर्भावस्था के दौरान मोटापा बढ़े तो क्या करें

गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं
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गर्भावस्था के दौरान मोटापा बढ़े तो क्या करेंगर्भावस्था
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गर्भावस्था के दौरान क्या-क्या व कितनी मात्रा में खाना चाहिए? गर्भावस्था में अधिक घी-दूध इत्यादि लेने से मोटापा तो नहीं बढ़ेगा? अतिरिक्त पोषण की मांग को पूरा करने के चक्कर में बच्चा अधिक तंदुरुस्त तो नहीं हो जाएगा अथवा सामान्य भाषा में बच्चा फूल तो नहीं जाएगा? इस प्रकार के अनेक प्रश्न गर्भवती महिलाओं के मन में प्रायः उठते हैं।

वैसे भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के इस युग में हर महिला स्वस्थ व सुंदर दिखना चाहती है। कुछ महिलाएं जिनका वज़न गर्भावस्था से पूर्व ही अधिक होता है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान मोटापा बढ़ने की चिंता बहुत सताती है। वे अपनी डायटिंग करने की प्रवृत्ति को गर्भावस्था के दौरान नहीं अपना सकतीं। एक बार मोटापा बढ़ने के बाद उस पर नियंत्रण पाना काफी कठिन होता है।

गर्भ के सुचारु विकास के लिए गर्भवती का तन-मन दोनों स्वस्थ होना अति आवश्यक है एवं आहार मात्रा की दृष्टि से नहीं अपितु गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम होना चाहिए। संपूर्ण गर्भावस्था काल में 10 किलो से अधिक वज़न नहीं बढ़ना चाहिए। यूं तो गर्भावस्था के नौ-महीने के अंतराल में अलग-अलग समय पर गर्भ की वृद्धि के अनुरूप आहार-व्यवस्था की चर्चा होती रहती है।

गर्भ के समुचित विकास के लिए विटामिन व मिनरल से भरपूर पौष्टिक आहार लेना अत्यन्त आवश्यक है।गर्भ पूर्णतया परजीवी जीव होता है। अतः गर्भवती के किसी भी अनुचित क्रियाकलाप या कुपोषण का अंतिम असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर ही पड़ता है। हम यहां गर्भावस्था के दौरान मोटापा कम हो व गर्भ का सुचारु रूप से विकास हो सके, ऐसी आहार व्यवस्था का वर्णन कर रहे हैं।

सुबह का नाश्ता:-

चाय, कॉफी या दूध (चीनी रहित), शुगर फ्री गोलियों का उपयोग किया जा सकता है। इनके साथ ब्रेड का पीस (कम मक्खन लगा हुआ), बिना क्रीम के बिस्किट या सादा बिना घी का फुल्का अथवा अंकुरित अन्न। नाश्ते व दोपहर के भोजन के बीच फलों का रस अथवा नींबू पानी वगैरह।

दोपहर का भोजन:-

1 कप सूप (क्रीम रहित), अपनी पसंद के अनुसार।

सब्जियां:- बंदगोभी, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जी जैसे:- पालक, मेथी, सोया, बथुआ वगैरह।

सलाद:- खीरा, ककड़ी, चुकंदर, मूली, गाजर, शलजम फलीदार सब्जी:- सोया, मटर, सेम, वगैरह एवं अंकुरित अन्न मक्खन निकली हुई छाछ व रोटी।

सांध्यकालीन आहार:-

जूस अथवा चाय-कॉफी (चीनी रहित)

रात्रिकालीन भोजन:-

हरी सब्ज़ी, सलाद एवं दो फुल्के, फल।

शयनकालीन:-

दूध (मलाई रहित)

वर्जित आहार:-

तला भोजन, सलादक्रीम, तेल, गाढ़ा सूप, सॉस या अन्य ग्रेवी, चीनी, ग्लूकोज़, जैम, शहद, सीरप, चॉकलेट, मिठाई, आइसक्रीम, जैली, कोका, माल्ट किए हुए दुग्ध से बने पेय पदार्थ, मीठा पड़ें फलों के रस, केक, पेस्ट्री, पुडिंग इत्यादि।

फास्टफूड, टिन्ड फूड, मक्खन, मेवा, फलों में केला इत्यादि।

वजन कम करने वाले आहारों में उचित मात्रा में कैलोरी व प्रोटीन होता है जबकि चर्बी एवं कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है। सुबह सो कर उठने के बाद सबसे पहले एक गिलास गर्म पानी पीने से कब्ज से बचाव होता है।

इसके अलावा गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में मल्टीविटामिन की गोलियां अवश्य लेनी चाहिए।

किसी भी प्रकार का अतिरिक्त आहार न लें। उपरोक्त आहार व्यवस्था शरीर की ऊर्जा व शक्ति बनाए रखने एवं वजन घटाने के लिए उपयुक्त है। नीरज सुधांशु(स्वास्थ्य दर्पण)

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