पीरियड में होने वाली दिक्कतों से योग दिलाएं निजात, जानिए कौन से आसन हैं असरदार

नई दिल्ली : बदलती जीवनशैली के कारण महिलाओं में मासिक चक्र अनियमित होने के साथ साथ तनाव, प्रजनन क्षमता में कमी और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ये समस्याएं गंभीर हो सकती हैं, जिसमें योग आपको राहत दे सकता है। योग एक्सपर्ट्स का कहना है कि योग करके पीरियड्स की तकलीफ दूर की जा सकती है। ये योगासन न केवल पीरियड्स में होने वाली तकलीफ और दर्द दूर करने में मदद करते हैं, बल्कि मेंटल स्ट्रेस भी घटाते हैं। योग एक्सपर्ट्स का कहना है कि शुरुआती 2-3 दिन योगासन करना अवॉइड करें, बाकि दिनों में आप अपने समय और रूटीन के मुताबिक योग करें।
ये हैं कुछ खास योगासन, जिन्हें कर के आप स्वस्थ रहेंगी और पीरियड के दिनों में होने वाली तमाम परेशानियों से बच सकती हैं।

उड्डियान बंध
कैसे करें : सुखासन में बैठकर पेट को इतना सिकोड़ें कि नाभि, रीढ़ के अधिकतम करीब हो जाए। इससे पेट की पांचों अग्नियां- यकृत, आमाशय, पैंक्रियाज, तिल्ली और छोटी आंत सभी एक साथ सक्रिय होती हैं।
क्या है लाभ: डिंब ग्रंथियां या ओवरीज कई तरह के हार्मोन उत्पादन का स्रोत होती हैं। डिंब ग्रंथियां सही तरह से काम न करें तो महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है। इससे भावनाओं के असंतुलन, मासिक धर्म होने पर चिड़चिड़ापन और घबराहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। डिंब ग्रंथियों को स्वस्थ रखना स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इस आसन को करने से मेनोपॉज के बाद भी गर्भाशय स्वस्थ रहता है।

वज्रासन
कैसे करें: नितंबों पर समान वजन देकर बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटने पर रखकर शरीर को ढीला छोड़ दें। घुटने के नीचे पतला तकिया रखकर यह आसन आसानी से किया जा सकता है। 15 से 30 मिनट इस अवस्था में बैठें।
क्या है लाभ: पेल्विक एरिया पर दबाव पड़ने से महिलाओं की गर्भाशय ग्रंथि प्रभावित होती है। उसमें रक्त का प्रवाह तेज होता है, जिससे महिलाओं में बांझपन भी दूर होता है। हार्मोनल समस्या को दूर करता है। यह मेनोपॉज के बाद गर्भाशय लटकने जैसी भयंकर बीमारी से, जिसे कांच आने का रोग या प्रोलैप्स ऑफ रेक्टम कहते हैं को भी दूर करता है। पैरों में वैरीकोज वेंस की समस्या भी वज्रासन से दूर होती है।

मंडूकासन
कैसे करें: वज्रासन में बैठकर दोनों हाथ के अंगूठों को मुट्ठियों में बंद कर लें। दोनों मुट्ठियों को इस तरह मिलाएं कि अंगुलियों के जोड़ आपस में सटे हों। मुट्ठियों को नाभि से ऊपर आमाशय पर रखें। श्वांस भरें और धीरे-धीरे श्वांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। गर्दन सीधी रखें, आमाशय, यकृत, पैंक्रियाज पर मुट्ठियों से दबाव बनाएं। इस स्थिति में कुछ देर रुकें। फिर सांस भरते हुए वापस आएं। सुबह-शाम खाली पेट 10-11 बार इस आसन को करें।
क्या है लाभ: महिलाओं में मूत्राशय और प्रजनन अंगों से जुड़ी समस्याएं आम हैं। मंडूकासन से मूत्र रोग दूर होते हैं, मासिक धर्म की अनियमितताओं और दर्द से भी मुक्ति मिलती है। मंडूकासन प्रजनन अंग को स्वस्थ करता है। इससे रीढ़ लचीली बनती है।

पीरियड में भी कर सकती हैं योग
पीरियड के दौरान भी आप योग कर सकती हैं। योग एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीरियड के दिनों में हलके फुल्के योगासन करें। अगर कमर, पेट और गर्दन में दर्द की प्रॉब्लम है तो योगासन न करें और उतना ही योगासन करें, जितने में आप थके नहीं। ज्यादा ब्लीडिंग होने पर भी योग न करें। शीर्षासन, सर्वांगासान, कपालभाति जैसे आसन न करें।

पश्चिमोत्तानासन
कैसे करें : जमीन पर बैठ जाएं। दोनों पैरों को सामने फैलाएं। पीठ की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें। सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर लेकर जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और नाक को घुटने से सटाने की कोशिश करें। धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें। फिर पुरानी अवस्था में लौट आएं और इस प्रक्रिया को फिर से दोहराएं। यह क्रिया 3 से 5 बार करें।
क्या है लाभ : इसका नियमित अभ्यास करने से पेट की पेशियां मजबूत होती है और पाचन संबंधि समस्या जैसे कब्ज, अपच भी इससे दूर होती हैं। यह आसन महिलाओं में मासिक धर्म से संबंधित सभी तरह के विकार को दूर करता है। तनाव, चिंता, मस्तिष्क से जुड़ी समस्या, क्रोध और चिड़चिड़ापन को दूर कर यह दिमाग को शांत रखता है।

पर्वतासन
पद्मासन की मुद्रा में बैठें। दायां पैर बाईं ओर बायां पैर दाईं जांघ पर हो। सांस खींचते हुए दोनों हाथों को जोड़कर ऊपर उठाएं। कुछ देर रुके रहें। सांस छोड़ते हुए हाथ नीचे ले आएं। इसे कई बार दोहराएं।
क्या है लाभ
इसे करने से शरीर मजबूत होता है और ढीलापन दूर हो जाता है। महिलाओं में होने वाले पैर दर्द कि समस्या दूर होती है। रक्त साफ करने के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी है, जिससे हमारे फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। गर्भाशय संबंधी सभी बिमारियों को यह दूर करता है।

बंधकोणासन
पालथी मारकर बैठें। पैरों के पंजों को आपस में जोड़ें। घुटनों और जांघों को जमीन पर सटाकर रखें। गहरी सांस लेते हुए कुछ देर पोजिशन बनाएं।
क्या है लाभ :
बंधकोणासन नियमित करने से पैर और घुटने की समस्या दूर होती है और रक्त प्रवाह सही रहता है। महिलाओं में होने वाली हर तरह कि समस्या को यह दूर करता है। पैरों के अलावा, पेट, कमर और पीठ के निचले हिस्से तथा गुर्दे, प्रोस्टेट और मूत्राशय को स्वस्थ रखता है।

वज्रासन
घुटनों के बल बैठें। एड़ियों को नितंब के नीचे रखें। हथेलियों को घुटनों पर रखें। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें कुछ देर इसी पोजिशन में रहें।
क्या है लाभ : मासिक के दौरान होने वाले एसिडिटी, अपच ओर कब्ज जैसी बीमारियों को दूर करता है। सांस पर नियंत्रण होने के कारण रक्तचाप में राहत मिलती है और मन स्थिर रहता है। पीरियड के दौरान होने वाले मुड स्विंग को दूर करता है,मन शांत रखता है और साथ ही यह औरतों के पेट कमर संबंधी कई बिमारियों को दूर करता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम
सुखासन में बैठें। अंगूठे से पहले बाएं नाक को बंद करें, दाएं से सांस लें। अंगूठे से दाएं नाक को बंद करें। बाएं नाक से सांस छोड़ें। फिर बाएं नाक से सांस लें। अंगूठे से बांया नाक बंद करें और दाएं से सांस छोड़ें। 5-10 मिनट तक दोहराएं।
क्या है लाभ : यह आसन कभी भी कही भी किया जा सकता है। यह विचलित मन को शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है। मासिक के दौरान तनाव को दूरता और गुस्से पर नियंत्रण रखता है।

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