
नई दिल्ली : महिलाओं में आजकल एक ऐसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण उन्हें अक्सर असहज एवं शर्मसार स्थितियों का सामना करना पड़ता है। ओवर एक्टिव ब्लैडर (ओएबी) नामक इस बीमारी के कारण हंसने, खांसने और छींकने जैसे सामान्य क्रिया में भी उन्हें यूरिन आ जाता है।
दिल्ली एनसीआर के मैक्स हास्पीटल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. विमल दस्सी का कहना है कि कुछ समय से उनके पास इस बीमारी के इलाज के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। शर्मनाक स्थितियां पैदा कर देने वाली इस बीमारी की मरीजों में 40 साल के आसापास की उम्र की महिलाएं काफी अधिक हैं। वैसे तो यह समस्या महिलाओं और पुरूषों दोनों में पाई जाती है, लेकिन महिलाओं में यह समस्या आम है। गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान महिलाओं का मूत्राशय प्रभावित होता है और साथ ही साथ महिलाओं में छोटा मूत्रमार्ग होता हैं। इस समयस्या के साथ सामाजिक पहलू यह जुड़ा है कि महिलाओं के लिए हर जगह शौचालय उपलब्ध नहीं होता।
शर्मनाक एवं असहज स्थितियां पैदा करने वाली इस समस्या के बारे में दुनिया भर में जागरूकता पैदा करने के लिए 17 जून से 23 जून के बीच हर साल वर्ल्ड कंटीनेंस सप्ताह मनाया जाता है। डॉ. दस्सी ने बताया कि कभी यह बीमारी बुजुर्गों की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब यह कम उम्र में ही हो रही है। अनुमान है कि छह में से तकरीबन एक वयस्क इस बीमारी से प्रभावित हैं और उम्र बढ़ने के साथ इसका प्रकोप बढ़ता है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले उनके पास एक स्कूल की शिक्षिका आई थी जो दिन में 10 से 14 बार मूत्र त्याग के लिए शौचालय जाती थी। कई मौकों पर क्लास के बीच में ही उन्हें मूत्र त्याग के लिए बाथरूम जाना पड़ जाता था। उस महिला की जांच से पता चला कि ओवर एक्टिर ब्लैडर सिंड्रोम से ग्रस्त हैं।
यूरोलॉजिस्टों का कहना है कि आप इस बात पर ध्यान रखें कि आप हर दिन कितनी बार और कितना अधिक मूत्र त्याग करते हैं। इसके अलावा यह भी देखें कि हर बार आपको मूत्राशय को खाली करने की इच्छा कितनी तीव्र होती है। अगर मूत्र त्याग की आवृत्ति और तात्कालिकता में वृद्धि हुई है, तो अपने तत्काल डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। डॉ. दस्सी के अनुसार कुछ मामलों में मूत्र त्याग की इच्छा इतनी तीव्र होती है कि मरीज जब तक बाथरूम पहुंचता है उससे पहले ही पेशाब निकल जाता है। ज्यादातर लोग जो मूत्र असंयम /कंटीनेंस/ से पीड़ित होते हैं, वे इस समस्या को झेलते रहते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि वे इस समस्या का इलाज करने के लिए कुछ कर नहीं सकते।
विशेषज्ञों का कहना है कि ओवर एक्टिव सिंड्रोम (ओएबी) के बारे में जागरूकता कायम करना महत्वपूर्ण है, खास तौर पर इसलिए क्योंकि यह मूत्राशय के स्वास्थ्य से जुड़ा जुड़ी भ्रांति है। मरीजों को चुपचाप इस समस्या को झेलते नहीं रहना चाहिए। इसका उपचार किया जा सकता है। वर्तमान में इसके उपचार के कई तरीके हैं जिनमें आवश्यकता होने पर जीवनशैली में बदलाव, आहार, दवा और सर्जरी शामिल हैं। व्यवहार में बदलाव और व्यायाम की मदद से ओवर एक्टिव ब्लैडर और साथ ही साथ मूत्र के रिसाव को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आपको ओएबी से संबंधित कोई लक्षण है तो विशेषज्ञों की सलाह है कि आप कैफीनयुक्त पेय (कॉफी, चाय) आदि को सीमित करें, मसालेदार भोजन से बचें और शराब से परहेज करें क्योंकि इन सबसे आपकी स्थिति खराब होगी।