
नई दिल्ली : स्वस्थ शरीर को विटामिन और मिनरल की जरूरत होती है। विटामिन डी हमारे स्वास्थ के लिए जरूरी विटामिन हैं, क्योंकि मसल्स और हड्डियों को मजबूती मिलती हैं और यह उनके विकास को भी बढ़ावा देता है। हालांकि विटामिन डी अच्छी हेल्थ के लिए अच्छा है और इसकी कमी से हेल्थ संबंधी समस्या भी हो सकती है। विटामिन डी फैट में घुल जाता है और कैल्शियम और फॉस्फेट को एब्जॉर्ब करने की क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही सूरज की रोशनी में बॉडी कोलेस्ट्रॉल से विटामिन डी का निर्माण भी करता है। इसलिए इसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता हैं।
पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी लेने से कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस, हार्ट डिजीज, किडनी रोग, अस्थमा आदि दूर रहते हैं। मोटापा, बालों का झड़ना और डिप्रेशन जैसी समस्या में भी इसके सेवन से फायदा होता है। विटामिन डी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, सर्दी, फ्लू और निमोनिया से सुरक्षा देता है।
हार्ट की समस्या
सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से बॉडी को विटामिन डी के रूप में मिलने वाला विटामिन क्षतिग्रस्त कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को ठीक करने में हेल्प करता है। अमेरिका की ओहिओ यूनिवर्सिटी में किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि विटामिन डी 3 कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को कई बीमारियों से बचाता है व उन रोगों के उपचार में भी हेल्प करता है। इसकी कमी से हार्ट की समस्या हो सकती हैं।
हड्डियों में कमजोरी
हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी जरूरी होता है। विटामिन-डी हड्डियों की हेल्थ के लिए जरूरी माना जाता है। विटामिन-डी की कमी होने से कैल्शियम की भी कमी हो सकती है, क्योंकि विटामिन-डी की हेल्प से ही कैल्शियम का बॉडी में अवशोषण होता है और यह कैल्शियम को पचाने में हेल्प करता है। कमी से हड्डियों में कमजोरी आने लगती है।
पीरियड्स में समस्या
पीरियड्स से संबंधित कोई भी समस्या हो तो बॉडी में विटामिन डी के लेवल को चेक करवाएं। कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी जरूरी होता है, और इसके लक्षण पीएमएस और पीरियड्स के लक्षणों को खराब कर सकते हैं, क्योंकि इन लक्षणों को दूर करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। रेगुलर पीरियड्स के लिए, आपको विटामिन-डी के लेवल को बनाए रखना जरूरी है। विटामिन डी की कमी के कारण मूड में बदलाव, सिरदर्द और स्लिप डिस्आकर्डर भी हो सकता हैं। विटामिन डी पीसीओएस में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विटामिन-डी की कमी से डिमेंशिया
एक रिसर्च के अनुसार बॉडी में विटामिन डी की कमी हो तो महिलाओं में अल्जाइमर और डिमेंशिया की शिकायत बढ़ जाती है। डिमेंशिया में सोच, व्यवहार में बदलाव और याददाश्त में कमी आने लगती है। एक सामान्य विटामिन-डी के लेवल वाले व्यक्ति की तुलना में विटामिन-डी की कम लेवल वाले लोगों में डिमेंशिया की संभावना 53 प्रतिशत मिली। जब कि यही आकड़ा बढ़ कर 125% पहुंज गया, जब किसी के शरीर में इस विटामिन की गंभीर कमी थी। इसलिए हमारे शरीर में विटामिन-डी होना बहुत जरुरी है।
तनाव
महिलाओं में विटामिन डी की कमी से तनाव की समस्या हो जाती है और इसके कारण वे लगातार उदासी महसूस करती हैं। विटामिन डी की कमी का सीधा असर आपके मूड पर पड़ता है। इसकी कमी से बॉडी में सेरोटोनिन हार्मोन के निर्माण पर असर पड़ता है जो आपके बदलते मूड के लिए जिम्मेदार हो सकता है।