
प्रियंका तिवारी : हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेत्री सारा अली खान ने कहा कि वह पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी (पीसीओएस) जैसी बीमारी के चपेट में रह चुकी हैं, जिसके कारण उनका वेट 96 किलो बढ़ गया था। वहीं अभिनेत्री सोनम कपूर ने भी माना कि वह भी लंबे समय तक इस बीमारी कि चपेट में रह चुकी हैं। सारा और सोनम के अलावा भी कई ऐसे स्टार्स हैं, जो इस बीमारी की चपेट में रह चुके हैं। सेलिब्रिटी ट्रेनर जिलियन माइकल्स, मॉडल एक्टिविस्ट और गिनीज बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने वाली हरनाम कौर, स्टार वार्स अभिनेत्री डेजी रिडली, विक्टोरिया बेकहम, राइटर इयान गावन, ऑस्कर विजेता ब्रिटिश अभिनेत्री एम्मा थॉमसन भी इस बीमारी के चपेट में रह चुके हैं, लेकिन सही इलाज और अपनी इच्छाशक्ति से उन्होंने इस बीमारी पर काबू पाया।
क्या है पीसीओएस
इस बीमारी में हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं और कई बार महिलाओं को मासिक चक्र के दौरान समय से पहले पीरियड या महीने में दो बार भी पीरियड आ जाता है। महिला रोग विशेषज्ञों के मुताबिक पहले यह बीमारी 30 साल से ऊपर की महिलाओं में ही देखने को मिलती थी, वहीं अब छोटी उम्र की लड़कियां भी इसकी चपेट में आने लगी हैं। जब किसी महिला के शरीर में मौजूद सेक्स हार्मोंस में उतार-चढ़ाव होने लगते हैं, तो मासिक चक्र यानी पीरियड्स पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है।
पीसीओएस हो सकता है खतरनाक
इस बीमारी को लेकर जागरूकता बेहद कम है। भारत में हर 5वीं महिला इस बीमारी से ग्रस्त हैं। महिला रोग विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक पीसीओएस का इलाज नहीं किया गया तो यह खतरनाक हो सकता है। इस बीमारी में महिला के अंडाशय में एंड्रोजन नामक हार्मोन सामान्य से अधिक मात्रा में बनने लगता है। जब लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहती है, तो ओवरी यानी अंडाशय में अल्सर बनने लगता है, जिसे सिस्ट भी कहते हैं। यह सिस्ट असल में छोटी-छोटी थैलियां होती हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। यदि समय रहते इस समस्या का उचित इलाज न किया जाए तो सिस्ट का आकार तेजी से बढ़ने लगता है और महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होने लगती है। पीसीओएस से इनफर्टिलिटी हो सकती है, पीरियड्स में ज्यादा या कम ब्लीडिंग, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और यूटरस कैंसर जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके साथ-साथ अंडाशय भी इससे प्रभावित होने लगता है और यह कैंसर का कारण भी बन सकता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को टाइप-2 डाइबिटीज होने का खतरा भी बना रहता है।
क्या हैं कारण
लाइफस्टाइल, जंक फूड, बहुत ज्यादा तेल-चिकनाई वाला खाना खाने से, देर रात तक जागने, नशे की लत, ज्यादा मीठा खाने, फिजीकल एक्टिविटी ना होने, तनाव या खानपान में लापरवाही बरतने से महिलाएं इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। इस बीमारी में वजन बढ़ने लगता है और वजन बढ़ने से एंड्रोजन हार्मोन का स्राव बढ़ने लगता है।
पीसीओएस की चपेट में 15 से 30 साल की महिलाएं
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के एक रिपोर्ट के मुताबिक पीसीओएस के बढ़ते मामलों को आमतौर पर 15 से 30 साल की आयु के महिलाओं में देखा गया है। इससे पता चला है कि पूर्वी भारत में लगभग 25.88% महिलाएं, उत्तर भारत में 18.62%, पश्चिम भारत में 19.8% और दक्षिण भारत में 18% पीसीओएस से प्रभावित हैं।
क्या है उपाय
आहार में मुख्य रूप से साबुत अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, ओट्स और कुट्टू का आटा आदि शामिल करने से शरीर में शर्करा की मात्रा संतुलित बनी रहती है, साथ ही अच्छे पाचन के लिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर भी मिलता है। हरी पत्तेदार सब्जियां पालक, मेथी में विटामिन-बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक करीब 60 फीसदी से ज्यादा पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में विटामिन-बी की कमी पाई जाती है। इसकी कमी से अनियमित मासिक धर्म, चेहरे पर अनचाहे बाल और मोटापे की समस्या बढ़ती है। इसलिए अपने आहार में पालक, पत्तागोभी और ब्रोकली को शामिल करें। ओमेगा 3 फैटी एसिड हार्मोंस को नियंत्रित करता है, इसलिए फ्लैक्स सीड और चिया सीड का सेवन नियमित रूप से करें। सेब, नाशपाती, ब्लूबेरी और शकरकंद जैसे आहार वजन नियंत्रित रखते हैं और साथ ही रक्त में शर्करा के स्तर को भी संतुलित बनाए रखते हैं। इसलिए ताजे मौसमी फलों का सेवन करें।