
नई दिल्ली: औरतों को माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं से तो सभी वाकिफ हैं, लेकिन माहवारी के दौरान होने वाले बदलाव के कारण औरतों के शरीर और व्यवहार में कई सकरात्मक प्रभाव भी देखें गए हैं। नए रिसर्च के मुताबिक माहवारी खत्म होने के बाद औरतों में खास तरह के बदलाव आते हैं। माहवारी के तीन हफ्ते बाद उनकी कम्युनिकेशन स्किल बेहतर हो जाती है। जिन बातों को कहने से वे आम दिनों में संकोच करती हैं, वह बातें भी इन दिनों खुलकर कह देती हैं। रिसर्च के मुताबिक जैसे ही माहवारी का नया चक्र शुरू होता है, उनका दिमाग तेजी से काम करना शुरू कर देता है।
माहवारी चक्र पर 1930 के दशक से रिसर्च की जा रही है। ब्रिटेन की डरहम यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट मार्कस हसमैन ने कई वर्षों के शोध के बाद पाया कि मर्द और औरत दोनों ही हर महीने के चक्र से गुजरते हैं। औरतों में माहवारी होती है और मर्दों में टेस्टोस्टोरोन का स्तर बढ़ता घटता है। इस दौरान औरतों का दिमाग मर्दों से अलग काम करता है। इस दौरान उनके दिमाग में होने वाले बदलाव मर्दों से बेहतर होती है। पीएचडी छात्रा क्लाउडिया बार्थ के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक पीरियड के दौरान एस्ट्रोजेन के स्तर में बदलाव आता है। मस्तिष्क के हिस्से का आकार हिप्पोकैंपस के रूप में जाना जाता है, जिसमें इस दौरान बदलाव आता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दो मासिक चक्रों के दौरान कुछ दिनों के अंतराल पर एक महिला के मस्तिष्क को स्कैन किया। उन्होंने पाया कि एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ने के कारण हिप्पोकैंपस की मात्रा में वृद्धि हुई है। हिप्पोकैंपस नई यादों को संयोजित करने और नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही मनोदशा और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। रिसर्च कहते हैं कि मासिक धर्म चक्र के दौरान हमारे दिमाग के अनुभव बदल सकते हैं।
नई बातें नए शब्द तेजी से याद करती हैं महिलाएं
शिकागो यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक पाउलिन मकी का कहना है कि औरतों दिमाग इस दौरान कई शब्दों या नई बातों को तेजी से याद करती हैं। मनोवैज्ञानिक पाउलिन मकी ने बाल्टीमोर के जेरोंटॉलजी रिसर्च सेंटर के रिसर्चर के साथ मिलकर कुछ महिलाओं पर अध्ययन किया कि औरतों में एस्ट्रोजन का बढ़ता-घटता स्तर हर महीने उन पर क्या असर डालता है। सभी महिलाओं का पीरियड शुरू होने से पहले और पीरियड खत्म होने के बाद उनके व्यवहार में बदलाव देखा गया। रिसर्च के मुताबिक जब फीमेल हार्मोन का स्तर ज्यादा था, तब वे मर्दों के मुकाबले उनकी याददास्त कमजोर थी, लेकिन जब फीमेल हार्मोन का स्तर कम होते ही उनकी याददास्त पुरुषों के मुकाबलें बेहतर थी।
दिमाग का दोनों हिस्सा तेजी से काम करता है
फीमेल हार्मोन दिमाग के दो हिस्सों पर अपना गहरा असर डालते हैं। पहला हिस्सा है हिप्पोकैंपस जहां यादें जमा रहती हैं। हर महीने जब फीमेल हार्मोन रिलीज होते हैं, तो दिमाग का ये हिस्सा बड़ा हो जाता है। दूसरा हिस्सा है एमिगडाला। दिमाग के इस हिस्से का संबंध भावुकता से होता है, जो उनके फैसले लेने को भी प्रभावित करता है।