माहवारी को लेकर सोच बदलना जरूरी, किसी भी स्वस्थ महिला के लिए माहवारी सामान्य प्रक्रिया

नई दिल्ली : महिलाओं को हर महीने होने वाली माहवारी को लेकर अभी भी समाज में कई तरह की अंधविश्वास और अवधारणाएं हैं। आज भी पीरियड को अशुद्ध माना जाता है और माहवारी के समय महिलाओं पर रसोई घर में खाना बनाने, पूजा घर में प्रवेश निषेध और बिस्तर पर सोने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

यह अंधविश्वास देश के हर हिस्से में हैं। केरल के सबरीमाला मंदिर में आज भी महिलाओं की माहवारी के समय मंदिर में प्रवेश निषेध है। यही नहीं त्रावणकोर देवाश्वम बोर्ड के अध्यक्ष प्रयार गोपालकृष्णन ने कहा था कि महिलाओं को प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में प्रवेश की अनुमति तभी दी जाएगी, जब उनकी शुद्धता की जांच करने वाली मशीन का आविष्कार हो जाएगा। वहीं एक अन्य मान्यता के मुताबिक जब कोई महिला माहवारी के दौरान मंदिर जाती है तो उसे मधुमक्खी काट लेती है। अगर मंदिर की तरफ जाते हुए किसी महिला को मधुमक्खी काट लेती है तो उसके आस पास मौजूद पुरुष यह समझ जाते हैं कि महिला की माहवारी चल रही है और तब वे पुरुष उस महिला को मंदिर नहीं जाने देते। माना जाता है कि अगर महिलाएं माहवारी के वक्त मंदिर में जाएंगी तो मंदिर अशुद्ध हो जाएगा।

पीरियड्स को लेकर ऐसे कई मिथक अभी भी हैं, अभी भी इसे लेकर समाज में जागरूकता कि बेहद कमी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में आज भी 62 फीसदी लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत में केवल 48 फीसदी महिलाएं तो शहरी क्षेत्रों में केवल 78 फीसदी महिलाएं ही सेनिटरी पैड का उपयोग करती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अभी भी देश की लगभग 70 फीसदी महिलाओं की सेनेटरी उत्पादों तक पहुंच ही नहीं है, इसलिए वो सूती कपड़ा, राख वगैरह इश्तेमाल करती हैं, जिससे कि उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है। शहरों में अभी पीरियड को लेकर नजरिया नहीं बदला है, पैड्स या नैपकिन को लोग अभी भी छुपा कर खरीदते हैं। एक आंकड़े के अनुसार 50 प्रतिशत से ज्यादा किशोरियां मासिक धर्म के कारण स्कूल नहीं जाती हैं।

जागरूकता के लिए मुहीम
हालांकि अब वक्त बदल रहा है। पीरियड से जुड़ी मान्यताओं के खिलाफ अब आवाज उठने लगी है। महिलाएं ही नहीं पुरुष भी पीरियड्स को लेकर फैले अंधविश्वास और मिथकों को तोड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। अक्षय कुमार की हिट फिल्म पैडमैन ने पीरियड को लेकर लोगों की सोच बदली और लोगों ने इस पर खुल कर बात करना शुरू किया। इसके बाद बोलीवुड कि कई अभिनेत्रियों ने भी खुलकर इस अपनी राय रखी। सरकार ने भी मासिक धर्म से जुड़े मिथिकों को दूर करने के उद्देश्य से पांच साल की एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत 28 मई, 2018 को मासिक धर्म जागरूकता कार्यक्रम ‘नीयन आंदोलन’ लांच किया। वहीं लड़कियां भी सोशल मीडिया के जरिए मासिक धर्म से संबंधित मिथकों को तोड़ रही हैं। लड़कियों ने सोशल मीडिया पर ‘हैप्पी टू ब्लीड’ मुहिम शुरू किया।

इस दौरान लड़कियों ने हाथ में पेड्स, नैपकिन लेकर फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए और लोगों को जागरूक करने की कोशिश की। ‘हैप्पी टू ब्लीड’ मुहीम से अनुष्का दासगुप्ता जैसी लड़कियां जुड़ी, जिन्होंने पीरियड्स को लेकर लोगों का नजरिया बदलने का काम किया। कोलकाता की हाई स्कूल में पढ़ने वाली अनुष्का दासगुप्ता ने पीरियड वाले कपड़े को सोशल साइट पर शेयर किया और लिखा कि ये पोस्ट उन सभी महिलाओं के लिए जिन्होंने मेरे वुमनहुड को छुपाने के लिए मुझे मदद का ऑफर दिया। मैं शर्मिंदा नहीं हूं। मुझे हर 28 से 35 दिनों में पीरियड होता है, मुझे दर्द भी होता है। तब मैं मूडी हो जाती हूं, लेकिन मैं किचन में जाती हूं और चॉकलेट बिस्किट खाती हूं।

वहीं झारखंड के गढ़वा की पेशे से इंजीनियर अदिति गुप्ता ने 2009 में पीरियड्स पर रिसर्च शुरू किया और इसके तहत लड़कियों, उनके मातापिता, शिक्षकों व गाइनोकोलॉजिस्ट्स से बात की। अदिति ने बाद में इस प्रोजेक्ट को फन गाइड मैंस्ट्रुपीडिया के रूप में सामने लाया। मैंस्ट्रुपीडिया पर रंगीन चित्रों के माध्यम से पीरियड्स से संबंधित सभी तरह कि जानकारियां दी गई है। इस वेबसाइट पर सवाल जवाब और पीरियड्स से संबंधित अनुभव भी शेयर किया जा सकता है।

क्यों होता है माहवारी
दरअसल महिलाओं में माहवारी के दौरान रक्तस्राव होना सामान्य बात है। यह गर्भाशय की परत के टूटने के कारण होता है। मासिक धर्म, शरीर के गर्भावस्था के लिए तैयार होने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इस दौरान ऐसा लगता है कि बहुत खून निकल रहा है, पर ऐसा होता नहीं है। मासिक रक्तस्राव में खून के साथ गर्भाशय (यूट्रस) की परत के ऊतक निकलते हैं। इस बारे में जागरूकता की बेहद जरूरत है ताकि टीनेज लड़कियां साफ सफाई और अपने स्वास्थ का ख्याल रख सकें।

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