
नई दिल्ली : महिलाओं को हर माह मासिक चक्र यानी पीरियड्स से गुजरना पड़ता है। हर महीने 3 से 5 दिन तक चलने वाले इस मासिक चक्र के नियमित रहने से महिलाएं स्वस्थ और प्रजनन के लिए तैयार मानी जाती हैं। यह प्रकिया 12- 16 वर्ष की आयु से शुरू होकर मेनोपॉज यानी लगभग 50 साल की आयु तक चलता है, लेकिन कई बार यह प्रक्रिया तय सीमा से यह कुछ दिन पहले या बाद में होती है। इसके पीछे के कारण खाने-पीने की गलत आदतें, शरीर में खून की कमी और तनाव हो सकते हैं। वैसे तो यह महिलाओं में होने वाली आम सी समस्या है, लेकिन कई बार यह गंभीर समस्या भी बन सकता है।
महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन का उनके खान-पान से सीधा संबंध होता है। महिलाओं के आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा है तो पीरियड्स वक्त से पहले आ सकता है। जो महिलाएं ज्यादा पास्ता और चावल खाती हैं, उन्हें एक से डेढ़ साल पहले पीरियड्स आना शुरू हो जाता है। हालांकि ब्रिटेन की यूनिवर्सटी ऑफ लीड्स के रिपोर्ट के मुताबिक जो महिलाएं मछली, मटर और बींस का सेवन ज्यादा करती हैं, उनके मासिक धर्म में सामान्य रूप से देरी होती है, जबकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि पीरियड्स का वक्त से पहले या बाद में आना केवल खान-पान पर ही नहीं, बल्कि अन्य कई चीजों पर भी निर्भर करता है, जिसमें कि जीन भी शामिल है। अगर किसी लड़की को पहले 2 वर्षों तक अनियमित मासिक धर्म की शिकायत रहती है तो यह सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन अगर यह हालात लंबे समय से चल रहे हैं तो डॉक्टर से जरूर चेकअप करवाएं। पीरियड में अनियमितता कि वजह से आगे चलकर कंसीव करने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही इससे पीसीओडी, पीसीओएस जैसी कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अनियमित पीरियड्स इस बात का सिग्नल होते हैं कि महिला को ओवेरियन सिस्ट, थायरॉइड या पीसीओएस की समस्या है।
खान पान में लापरवाही
स्टडी जर्नल ऑफ एपिडिमीलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में छपे एक रिपोर्ट के मुताबिक जो महिलाएं फलीदार सब्जियों का ज्यादा सेवन करती हैं, उनके पीरियड्स में देरी देखी गई है। दूसरी तरफ जिन महिलाओं ने ज्यादा कार्बोहाइट्रेड वाला आहार लिया, उन्हें एक से डेढ़ साल पहले ही पीरियड्स का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों के मुताबिक खान पान के अलावा महिलाओं का वजन, प्रजनन क्षमता और एचआरटी हार्मोन भी पीरियड में अनियमितता के कारण हो सकते हैं। हालांकि इन्हें अनुवांशिक कारण माने जाते हैं और इसका पीरियड्स पर सीधा असर होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि फलीदार सब्जियां एंटिऑक्सिडेंट होती हैं और इससे पीरियड्स में देरी होती है। कई अध्ययन बताते हैं कि मछली के ज्यादा सेवन के कारण भी पीरियड में अनियमितता हो सकती है क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। इससे भी शरीर में एंटिऑक्सिडेंट बढ़ता है। दूसरी तरफ कार्बोहाइड्रेट इंसुलिन प्रतिरोधक के खतरे को बढ़ाता है। इससे सेक्स हार्मोन भी प्रभावित होता है, एस्ट्रोजन बढ़ता है। ऐसी स्थिति में पीरियड्स का चक्र प्रभावित होता है और वक्त से पहले आने की संभावना रहती है।
बेवक्त खाने-पीने की आदतें, पौष्टिक आहार न लेने, अचानक वजन का कम और बढ़ जाना मासिक धर्म में अनियमितता का कारण होते हैं, इसलिए उचित खाने पीने के साथ अपने वजन को सामान्य बनाए रखने का प्रयास करें। डाक्टर से भी खान पान के बारे में परामर्श लें। तली, डिब्बाबंद, चिप्स, केक, बिस्कुट और मीठे पेय आदि अधिक न लें। सही मासिक धर्म के लिए स्वस्थ आहार जरूरी है। अनाज, मौसमी फल और सब्जियां, पिस्ता-बादाम, कम वसा वाले दूध से बने आहार भी रोज की खुराक में शामिल करें।
बहुत ज्यादा व्यायाम
बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने से भी हॉर्मोनल संतुलित हो जाते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन आपकी मासिक धर्म प्रक्रिया को सामान्य रखते हैं और जरूरत से ज्यादा व्यायाम से एस्ट्रोजन की संख्या में वृद्धिहोती है, जिससे पीरियड्स रुक जाते हैं।
इंटरमेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग है खतरनाक
अनियमित पीरियड के कारणों का पता लगाकर इसका इलाज किया जाना चाहिए। अनियमित पीरियड में सबसे बुरा होता है, इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग। यह इमर्जेंसी कांट्रासेप्टिव पिल्स के इस्तेमाल की वजह से हो सकता है। इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है, क्योंकि इनमें ओवेरियन सिस्ट से लेकर यूट्रस के घातक कैंसर तक का संकेत छुपा हो सकता है।
मामूली ब्लीडिंग होना
बहुत कम ब्लीडिंग होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें, क्योंकि पीरियड्स के दौरान बेहद कम या ना के बराबर ब्लीडिंग होना होना भी एक समस्या ही है। इसका मतलब यह भी होता है, कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम है। या आपके शरीर में विटामिन या पोषण की कमी है।
ज्यादा क्लॉटिंग
पीरियड्स के दौरान थोड़े-बहुत थक्के यानी मेंसट्रूअल क्लॉट्स निकलना आम है, लेकिन इनकी मात्रा ज्यादा होना, आकार में बहुत बड़ा होना ठीक नहीं है। यह फाइब्रॉइड्स, ट्यूमर वगैरह होने का संकेत हो सकता है। सामान्य पीरियड में पहले या दूसरे दिन दर्द होता है, लेकिन यदि दर्द ज्यादा है तो यह फाइब्रॉइड्स या इंडोमेट्रियोसिस की वजह से हो सकता है। इंडोमोट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे गर्भाशय की बाहरी लाइनिंग के टिशू में असामान्य ग्रोथ होने लगता है। जो सिस्ट या घाव में बदलकर असहनीय दर्द का कारण बन जाता है। आमतौर पर फाइब्रॉइड्स की वजह से पेट में भारीपन महसूस होता है और बार-बार टॉयलेट लगती है।