
नई दिल्ली : जीवनशैली के कारण आजकल पुरुषों में भी बांझपन की समस्या बढ़ रही है। तनाव और धूम्रपान की आदत के कारण लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताएं हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 8500 से अधिक जोड़ों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि 51.2 प्रतिशत बांझपन के शिकार हैं यानी उन की प्रजनन क्षमता कम है। 1996 में छपी विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 60 से 80 मिलियन युगल जोड़े हर साल बांझपन से प्रभावित हो रहे हैं।
महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं यौन संक्रमण रोगों के मामले, जागरूकता ही बचाव है
भारत में बढ़ रहे हैं मामले
हाल के वर्षों में भारत में भी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं, लगभग 15 से 20 मिलियन जोड़े इस से प्रभावित हैं और इस की मौजूदा दर लगभग 23 प्रतिशत है। आईवीएफ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में पुरुषों में वीर्य की गुणवत्ता कम होती जा रही है। रोजाना ऐसे मामले आ रहे हैं। एक दिन में बाँझपन के लगभग तीस से चालीस मरीज आते हैं, दुनियाभर में दवाओं का बढ़ता उपयोग, धूम्रपान, शराब और सही भोजन ना करना बड़ी वजह है।
महिलाओं में इस बीमारी से दुनिया भर में होती है सबसे ज्यादा मौतें, जागरूकता ही बचाव
क्या है उपाय
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कृत्रिम गर्भाधान या आईवीएफ पहला समाधान नहीं है। लोगों को अपनी आदतें और जीवनशैली बदलनी होंगी। सही भोजन खाना होगा, रोज शारीरिक गतिविधियां करनी होंगी, तनाव कम करना होगा, वजन सही रखना होगा, विषैले तत्वों से दूर रहना होगा, शराब और धूम्रपान की आदत भी छोड़नी होगी। इसके अलावा इन दिनों सर्विस क्लास के काम करने के घंटे बढ़ गए हैं। 2017 में एक मेटा रिग्रेशन विश्लेषण किया गया था जो 42,935 पुरुषों पर हुए 185 अध्ययनों पर आधारित था और इस में एशिया को भी शामिल किया गया था। इन पुरुषों ने 1973 से 2011 के बीच वीर्य के नमूने उपलब्ध करवाए थे। इस व्यापक विश्लेषण में पुरुषों की शुक्राणु गणना में पचास से साठ प्रतिशत की कमी पाई गई थी।
कर्लिंग और स्ट्रेटनिंग बालों के स्वास्थ के लिए नुकसानदेह, बरते सावधानी
आईवीएफ विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल युगलों की जीवनशैली शिथिल है, लोग कम्प्यूटर और लैपटॉप के सामने काम करते हैं और आसानी से मिलने वाला जंक फूड खाते रहते हैं। इससे मोटापे का शिकार होते हैं। खान-पान की सही आदतों के अभाव की वजह से भी महिलाओं या पुरुषों में एक तरह का बाँझपन पैदा होता है।
क्या कहते हैं शोध
नोट्टिंघम विश्वविद्यालय में मार्च 2019 में छपे एक शोध के मुताबिक मानव और पालतू कुत्तों में दो एक जैसे रसायन वीर्य गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। ये दो पर्यावरणीय रसायन हैं डाई इथाइल हेक्सील पैथलेट और पॉलिक्लोरीनेटेड बाईफेनिल, ये पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक है और डाईएथिल हेक्सील पैथलेट एक ऐसा तत्व है जो मुख्यरूप से प्लास्टिक में मिलाया जाता है ताकि उसे और लचीला बनाया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक डीइएचपी और पीसीबी153 दोनों ही पर्यावरण में फैले हुए हैं और मां के दूध से लेकर भेड़ के समान लीवर के ऊतकों तक में पाए गए हैं। डीइएचपी प्लास्टिक के साथ इस्तेमाल होने वाला एक ऐसा तत्व है जो भोजन और तरल पदार्थों में भी पहुँच जाता है और पीसीबीएस वसारागी है जो चरबीदार भोजन में मिलता है।
जल्द हो जाता है आपको सर्दी-जुकाम तो ये है कारण
पश्चिमी देशों में वीर्य की गुणवत्ता खराब
पश्चिमी दुनिया में पिछले पांच दशकों में वीर्य की गुणवत्ता लगातार कम हो रही है। बहुत से शोध से यह पता चलता है कि पर्यावरण और जीवनशैली का बहुत ज्यादा असर पड़ता है। वर्ष 1992 में मानव वीर्य की घटती गुणवत्ता को लेकर किए गए एक शोध के मुताबिक पिछले पचास सालों से वीर्य की गुणवत्ता में कमी आती जा रही है, जिससे विवाद छिड़ गया था क्योंकि इस संदर्भ में बहुत सीमित शोध थे। 1992 से वीर्य की गुणवत्ता और इसमें आती कमी के बारे में बहुत से अध्ययन किए जा रहे हैं। जेनेवा विश्वविद्यालय, स्विट्ज़रलैंड में जेनेटिक औषधि और विकास विभाग द्वारा हाल ही में किया गया अध्ययन साबित करता है कि शुक्राणु संख्या में कमी आई है।
बालों के डाई और गोरा करने वाली क्रीम बना सकती है त्वचा रोगी
एक अन्य अध्ययन के मुताबिक प्रजनन क्षमता वाले पुरुष के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए गए संदर्भ के पांचवें प्रतिशत से तुलना करने पर 17 प्रतिशत पुरुषों के वीर्य का गाढ़ापन 15 मिलियन/मिलिलीटर, 25 प्रतिशत के शुक्राणु की गतिशीलता 40 प्रतिशत से कम और 43प्रतिशत की सामान्य चार प्रतिशत से भी कम थी। शुक्राणु की घटती संख्या से मृत्युदर संख्या के बढ़ते कारणों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये क्रिप्टॉर्किडिज्म, या अधोमूत्रमार्गता और टेस्टीकुलर कैंसर से भी जुड़ा है। जीवनशैली से जुड़े कारक जैसे कि खान-पान, तनाव, धूम्रपान और पर्यावरण से जुड़े बहुत से कारक और अंत:स्रावी रसायनों की वजह से शुक्राणु गणना में कमी आती है।
सर्दियों में जोड़ों और स्पाइन का इस तरह रखें ख्याल, जानिए डॉक्टर से
पुरुषों में बांझपन के लक्षण –
• यौन क्रिया में समस्या
• वीर्यकोष में सूजन या गांठ
• सांस से जुड़ा संक्रमण होना
• चेहरे या शरीर के बालों में कमी
• शुक्राणु गणना में कमी