मानसून में खान – पान संबंधी इन आदतों का रखें ख्याल

नई दिल्ली : मानसून शुरू होते ही पकौड़ों और चाय की तलब बढ़ जाती है। इस मौसम में पालक, गोभी और अरबी के पत्तों के पकौड़े काफी पसंद किए जाते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों के वैसे तो कई फायदें हैं लेकिन ये सब हरी पत्तेदार सब्जियां अपने साथ बहुत सी बिमारियों की भी वजह बन सकती हैं।

दरअसल इन हरी सब्जियों के पत्तों में बैक्टीरिया और माइक्रोब्स सबसे ज्यादा पनपते हैं। गंदे पानी या बरसाती पानी के साथ इन पत्तो को ही अपना घर बना लेते हैं। यही कारण है कि इन फैलने वाले संक्रमणो के कारण ही इस मौसम में सबसे ज्यादा बीमारियां फैलती है।
उबले हुए पानी में सब्जियों को धोएं।  मानसून में पानी उबालकर और फिर ठंडा करके पीना चाहिए। फल और सब्जियों को भी गर्म पानी से धोना चाहिए।

बरसात में सूरज की रोशनी तेज नहीं रहती, जिससे मौसम चिपचिपा हो जाता है और इसी वजह से यह माइक्रो और्गेनिज्म और वायरस बढ़ते चले जाते हैं। ये सब्जियां खाने से सीधा पाचन तंत्र पर असर पड़ता है और शरीर में कई प्रकार की बीमारियां घर कर लेती हैं।
जैसे स्किन एलर्जी, टाइफाइड, कोलेरा, डायरिया आदि।

केमिकल से बचें
सब्जियों को बरसाती मौसम में हरा रंग का दिखाने के कारण भी बहुत से उत्पादक इन सब्जियों में हानिकारक केमिकल वाला इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे हमें स्किन या पेट की बीमारियां हो सकती है।
मानसून में मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है। इस मौसम में अधपका, कच्ची सब्जियां, स्पाइसी, ऑयली या पत्तेदार हरी सब्जियों से बना फूड खाने से परहेज करें। पेट फूलना, अपच, उल्टियां, दस्त और बुखार जैसी समस्याओं से दूर रहें।

ध्यान दें
इस मौसम में मेटाबॉलिक रेट कम होता है, ऐसे में दोपहर में खाना खाने के बाद न सोयें। हरी पत्तेदार सब्जियों की जगह –तोरी, टिंडा, लोकी, सुरन,परवल आदि का सेवन करें।
डाइटिशियंस का कहना है कि इस मौसम में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। बाहर का बना कुछ भी ना खाएं।

 

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